(i) दोनों ही क्रियाओं में जनन एपिथोलियम (germinal epithelium) की कोशिकाओं का विभाजन होता है.
(ii) दोनों ही क्रियाओं में तीन प्रावस्थायें होती हैं
(a) गुणन प्रावस्था (multiplication phase),
(b) वृद्धि प्रावस्था (growth phase),
(c) परिपक्वन प्रावस्था (maturation phase) ।
(iii) दोनों में ही, गुणन प्रावस्था में, समसूत्री विभाजन होता है । (iv) वृद्धि अवस्था में कोशिकाओं की वृद्धि होती है और पोषण तत्त्वों को संचित करती है ।
(v) दोनों ही में परिपक्वन अवस्था में पहला विभाजन अर्द्धसूत्री तथा दूसरा समसूत्री होता है ।
(vi) दोनों की अंतिम अवस्था में अगुणित गैमीट का निर्माण होता है ।
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प्रश्न 2. कीट- परागण वाले पौधों की विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर- कीट परागित पौधों की निम्न विशेषताएँ होती हैं
(i) पुष्प बड़े, रंगयुक्त तथा आकर्षक होते हैं।
(ii) पुष्प की पंखुड़ियाँ बड़ी होती हैं। छोटी होने की स्थिति में पुष्प के अन्य भाग बड़े तथा आकर्षक हो जाते हैं। पोइनसेटिया की पत्तियाँ फूल वाले भाग में अंशतः या पूर्णत: रंगीन होते हैं। मुझेंडा का कैलिक्स (sepal) आकर्षक होता है ।
(iii) छोटे फूल एक-साथ गुच्छे में खिलते है। या संयुक्त होकर एक सिर बनाते हैं। उदाहरण-सूर्यमुखी ।
(iv) इनके खिलने का एक खास वक्त होता है तभी परागणकर्त्ता भी उपस्थित रहता है ।
(v) इनसे मकरंद साबित होता है जो कीटों को पोषण देता है।
(vi) परागकणों की बाह्य सतह काँटेदार, चिपकने वाली होती है जो
परागकिट कहलाती है तथा कीटों में आसानी से चिपक जाती है।
(vii) बहुत सारे फूलों के परागकण खाने योग्य होते हैं जिन्हें कीट खाते हैं जैसे- गुलाब, मैग्नोलिया ।
प्रश्न 3. कोलॉस्ट्रम क्या है ? दुग्ध के उत्पादन का नियंत्रण हॉर्मोन द्वारा किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर- जन्म के समय तथा कुछ दिनों के लिए मादा के स्तनों से एक तरल स्त्रावित होता है जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं। इसमें प्रोटीन व ऊर्जा का आधिक्य होता है। इसमें प्रतिरक्षी पाए जाते हैं जो नए जन्में शिशु में निष्क्रिय
प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं।
प्रसव के तीन या चार दिनों के पश्चात् स्तनों से दुग्ध का संश्लेषण पीयुष ग्रोथ के हॉर्मोन प्रोलैक्टिन (PRL) के द्वारा प्रेरित होता है। ऑक्सीटोसिन की उच्च मात्रा इसके स्राव को प्रेरित करती है। जो नवजात को पोषण प्रदान करता है ।
दुग्ध में एक अवरोधक पेप्टाइड का होता है। यदि स्तन पूर्णरूप से खाली नहीं होते तो यह पेप्टाइड एकत्रित होकर दुग्ध उत्पादन को रोकते हैं। यह ऑटोक्राइम क्रिया है जिसमें दुग्ध माँग होने पर उत्पन्न होता है
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प्रश्न 4. गर्भ निरोध की किन्हीं दो यांत्रिक विधियों के नाम लिखिए।
(i) डायाफ्राम (Diaphragm ) – इसे डॉक्टर द्वारा गर्भाशय के मुख (सर्विक्स) पर फिट कर दिया जाता हैं जिससे शुक्राणु सर्विक्स नलिका में प्रवेश नहीं कर सकते।
(ii) अंतः गर्भाशयी युक्ति (Intrauterine device, IUD) – IUDA
अथवा लूप (loop) प्लास्टिक अथवा स्टेनलेस स्टील का बना होता है। इसे
गर्भाशय में डाल दिया जाता है जिसके कारण गर्भाशय की दीवार में भ्रूण का रोपण नहीं होता।
प्रश्न 5. किसी व्यक्ति की पहचान में डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग एक सुनिश्चित पक्का परीक्षण क्यों कहा जाता है?
उत्तर- क्योंकि व्यक्ति के शरीर की प्रत्येक कोशिका का डी.एन.ए. एक. समान होता है और यह माता-पिता के डी.एन.ए. से मिलता-जुलता होता है। क्योंकि बच्चों को अपना डी.एन.ए. अपने माता-पिता से ही मिलता है। जैसा कि हमारी अंगुलियों के निशानों के विषय में है। वैसे ही हर व्यक्ति का अपना डी.एन.ए. भी सबसे अलग होता है। यदि अपराध स्थल पर अपराधी का कोई एक बाल, रक्त की बूँद अथवा वीर्य पड़ा मिला हो तो उससे अपराधी का डी.. एन. ए. पहचानने में मदद मिलती है और संदिग्ध व्यक्ति के डी. एन. ए. से उसकी तुलना करके सच पता लगाया जा सकता है।
प्रश्न 6. आनुवंशिक कोड की विशेषताएँ बताइए
उत्तर- आनुवंशिक कोड की विशेषताएँ (Special features of
genetic code) –
(i) प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए कम से कम एक लिंक (triplet)
कोडोन होता है ।
(ii) कोड अपहलासित (degenerate) होता है, अर्थात् एक ही
अमीनो अम्ल के लिए एक से ज्यादा कोडोन हो सकते हैं।
(iii) कोड अनतिव्यापि (non-overlapping) होता है, अर्थात् तीन क्षारकों में एक अमीनो अम्ल कोड होता है, अगले अमीनो अम्ल के लिए तीन क्षारक और चाहिए । पिछले तीन क्षारकों में से कोई भी अगले अमीनो अम्ल के कोडोन में सम्मिलित नहीं होगा। परन्तु हाल में ही वैज्ञानिकों को पता लगा कि जीवाणु भोजी x 174 में कुछ जीन नतिव्यापी (overlapping) होते हैं।
(iv) कोड कोमारहित (commaless) होता है, अर्थात् दो कोडोनों के बीच कोमा की आवश्यकता नहीं होती। एक अमीनो अम्ल को कोडित कर देने के बाद अगले तीन धारक दूसरे अमीनो अम्ल को स्वतः ही कोडित कर देते हैं।
(v) कोड असंदिग्ध (unambiguous) होता है अर्थात् एक निश्चित
कोडोन एक निश्चित अमीनो अम्ल को ही प्रदर्शित करेगा । (vi) कोड सार्वत्रिक (universal) होता है, अर्थात् सभी जीवधारियों में एक-सा होता है।
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प्रश्न 7. जीवन की उत्पत्ति के संदर्भ में डार्विन के दो प्रमुख योगदान क्या थे?
डार्विन के दो प्रमुख योगदान (Darwin’s two Important
Contributions) – उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक ऐसा माना जाता था कि
जीवधारियों की विभिन्न जातियों की वर्तमान रूप में ही अलग-अलग सृष्टि
हुई। जातियों को अपरिवर्तनीय माना जाता था चार्ल्स डार्बिन (Charles
Darwin) के दो मुख्य योगदान हैं
(i) जातियाँ अपरिवर्तनीय नहीं हैं। पहले से विद्यमान जातियों से ही नई जातियों की उत्पत्ति होती है । जीवधारियों की सभी जातियाँ एक ही पूर्वज से उत्पन्न हुई हैं ।
(ii) किसी भी जाति में समयानुसार होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तन कालान्तर में इकट्ठे होकर, मूल जाति से इतने अधिक भिन्न हो जाते हैं कि एक नई जाति का ही उद्भव हो जाता है । वास्तव में, छोटे-छोटे परिवर्तनों के पिछले लाखों वर्षों में एकत्रीकरण के फलस्वरूप ही एककोशिकीय जीवधारियों से वर्तमान जटिल जीवधारियों की उत्पत्ति संभव हुई है ।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर तथा अनेक क्षेपणों (observations) से प्राप्त प्रमाणों के आधार पर दार्थिन (Darwin) ने जीवों के विकास की प्रक्रिया को समझाने के लिए एवं नई जातियों की उत्पत्ति के लिए जो विचार प्रस्तुत किये, उन्हें डार्विन का प्राकृतिक वरण (चयन) वाद (Darwin’s Theory of Natural Selection) या डार्विनवाद (Darwinism) के नाम से जाना
जाता है ।
प्रश्न 8. स्व-प्रतिरक्षा क्या है ? टिप्पणी कीजिए।
उत्तर- उच्चतर कशेरुकियों में विकसित स्मृति आधारित उपार्जित प्रतिरक्षा अपनी कोशिकाओं और विजातीय जीवों (जैसे- रोगाणु) के बीच भेद कर सकने की क्षमता पर आधारित है। भेद कर सकने की इस क्षमता का आधार क्या है, यह हमें अभी भी पता नहीं चला है। फिर भी इस बारे में दो उपसिद्धांतों को समझना होगा। पहला, उच्चतर कशेरूकी विजातीय अणुओं और विजातीय जीवों को भी पहचान सकते हैं। प्रयोगात्मक प्रतिरक्षा विज्ञान इस संबंध में जानकारी देता है। दूसरा, कभी-कभी आनुवंशिक और अज्ञात कारणों से शरीर अपनी ही कोशिकाओं पर हमला कर देता है। इसके फलस्वरूप शरीर को क्षति पहुँचती है और यह स्वप्रतिरक्षा रोग कहलाता है। हमारे समाज में बहुत से लोग आमवाती संधिशोथ (रूमेटोबाट आर्याइटिस) से प्रभावित हैं जो एक स्व-प्रतिरक्षा रोग है।
प्रश्न 9. औद्योगिक राष्ट्र किस प्रकार जैव संसाधनों का दोहन कर रहे हैं ?
उत्तर-
(i) आनुवंशिक संसाधनों का संग्रह करके उनका पेटेंट करा रहे हैं। USA के ‘बासमती’ चावल में संपूर्ण जननद्रव्य पर पेटेंट व्यवहार लागू होगा
(ii) जैव संसाधनों के विश्लेषण से मूल्यवान जैव अणुओं की पहचान की जा रही है। किसी जीव द्वारा उत्पादित किसी अणु को जैव अणु कहा जाता है। इन जैव अणुओं को पेटेंट कराने के बाद उनका व्यापारिक उपयोग किया जाता है
(iii) जैव संसाधनों से मूल्यवान जीनों को क्लोन करके उनका पेटेंट कराया जा रहा है। इन जीनों के उपयोग से व्यापारिक उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं (iv) परंपरागत ज्ञान उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपयोग किया जाता है। कई बार परंपरागत ज्ञान का ही पेटेंट कराया जाता है ।
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प्रश्न 10. नगरीय सीवेज की तुलना में औद्योगिक उत्सर्ज को प्रबंधित करना क्यों ज्यादा कठिन है ? भारी धातु संक्रमण से उत्पन्न होने वाले एक रोग का नाम बताएँ ।
उत्तर- नगरीय सीवेज की तुलना में औद्योगिक उत्सर्ज को प्रबंधित करना ज्यादा कठिन है क्योंकि इनमें अनेक अजैवनिम्नीकरणीय प्रदूषक जैसे भारी धातु तथा अम्ल मौजूद रहते हैं 1
भारी धातु संक्रमित जल से गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। पारे द्वारा जहरीलेपन का शिकार मिनामाटा बीमारी जापान की मिनामाटा खाड़ी से (Hg) संक्रमित मछलियाँ खाने के कारण हुई।
कैडमियम प्रदूषण से इटाई-इटाई बीमारी एवं लीवर तथा फेफड़े का कैंसर हो जाता है।