SECTION ‘B’ (SUBJECTIVE QUESTIONS
(1.) निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध
वैसे तो मैंने अनके लेखकों की रचनाएँ पढ़ी है, लेकिन मुझे प्रेमचंदजी का साहित्य सबसे प्रिय लगता है। हिंदी कथा साहित्य में भी उनका स्थान सर्वोपरि है। मैं अपने खाली समय में उनकी कहानी संग्रह और उपन्यास पढ़ लेता हूँ। उनकी कहानियाँ और उपन्यासों का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना ही नहीं है उसमें जीवन की सच्चाई भी है, इसलिए वह मेरे प्रिय लेखक हैं।
प्रेमचंदजी का जन्म वाराणासी के पास लमही गाँव में हुआ था। उनका जीवन अत्यन्त निर्धनता में बिता | हायस्कूल की पढाई तो उन्होंने किसी तरह पूरी कर ली. परन्तु कॉलेज में दाखिल होने की इच्छा अधूरी ही रही । आर्थिक समस्याओं का सामना उन्हें जीवनभर करना पड़ा | भाग्यवश उनकी भेंट एक स्कूल के मास्टर से हो गई जिसकी कृपा से उन्हें सत्ररह रुपये मासिक की अध्यापक की नौकरी मिल गयी और इसी के साथ ही इनका साहित्यिक आरम्भ हुआ | उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर कुछ कहानियों लिखी । इन “ईदगाह’, ‘सवासेर, गेहूँ, बड़े घर की बेटी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ आदि विशेष रूप कहानियाँ अंग्रेजी सरकार द्वारा जब्त कर ली गयी पर प्रेमचंदजी का लिखना अनेक उपन्यास भी लिखे जिनमें गोदान, गवन, कर्मभूमि’, ‘रंगभूमि, एवम् प्रेमाश्रम अधिक प्रसिध्द हुए। प्रेमचंद के उपन्यासों में ‘गोदाम’ प्रेमचंदजीकी अधिकतर रचनाएं समाज से जुड़ी हुई है। उस समय था ब्राह्या समाज आर्य समाज रामकिशन मिशन आदि सुधारकार्य में लगी हुई थी | भारतीय जनता रुढियस्त थी। उनकी रचनाओं पर स्पष्ट दिखाई देता था। उनकी रहनेवाले थे, उन्होंने गरीबी को अधिक निकट से देखा रचनाओं में साकार रूप दिया |
जीवन का कहानियों में से प्रसिद्ध हैं । ये बंद नहीं हुआ | उन्होंने निर्मला, सेवा सदन, सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है । चारों और सुधार का नारा गूंज रहा अनेक छोटी-छोटी संस्थाएँ देश इस वातावरण का प्रभाव प्रेमचंद पर व कहानियाँ और उपन्यासों में अनेक पात्र गाँव के था। इसी गाँव के जीवन को उन्होंने अपनी
प्रेमचंदजी के साहित्य में मनोरंजन के अतिरिक्त देश, समाज और परिवार की समस्याओं का भी चित्रण हुआ है। ऐसे साहित्यकार हिंदी जगत में बहुत कम मिलते हैं जिन्होंने अपना पूर्ण योगदान हिंदी साहित्य को दिया है | उनका जीवन और उनकी रचनाएँ दोनों ही समाज व देश से जुड़ी है. इसलिए वह मेरे प्रिय लेखक हैं।
(2) निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करें:
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के निबन्ध अर्द्धनारीश्वर
से ली गयी हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहता है कि जिस तरह वृक्ष के अधीन उसकी लताएँ फलती-फूलती हैं उसी तरह पत्नी भी पुरुषों के अधीन है। वह पुरुष के पराधीन है। इस कारण नारी का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया। उसके सुख और दुःख, प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा, यहाँ तक कि जीवन और मरण भी पुरुष की मर्जी पर हो गये। उसका सारा मूल्य इस बात पर जा ठहरा कि पुरुषों की इच्छा पर वह है वृक्ष की लताएँ वृक्ष के चाहने पर ही अपना पर फैलाती हैं। उसी प्रकार स्त्री ने भी अपने को आर्थिक पंग मानकर पुरुष की अधीनता स्वीकार कर ली और यह कहने को विवश हो गयी कि पुरुष के अस्तित्व के कारण ही मेरा अस्तित्व है। इस परवशता के है। उसका अस्तित्व है। एक सोची-समझी साजिश के तहत पुरुषों द्वारा वह पंगु बना दी गई। इसलिए वह सोचती है कि मेरा पति मेरा कर्णधार है, मेरी नैया वही पार करा सकता है, मेरा अस्तित्व उसके होने के कारण को लेकर है। वृक्ष लता को अपनी जड़ों से सींचकर उसे बढ़ने का मौका देता है और कभी दमन भी करता है। इसी तरह एक पत्नी भी इसी दृष्टि से अपने पति को देखती है।
कारण उसकी सहज दृष्टि भी छिन गयी जिससे यह समझती है कि वह नारी
IANS-
ii ans-
व्याख्या प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध दलित आन्दोलन के नामवर लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि रचित आत्मकथात्मक ‘जूठन’ शीर्षक से लिया गया है। प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक ने समाज की विद्रूपताओं पर कटाक्ष दिया है।
लेखक के परिवार द्वारा श्रमसाध्य कर्म किए जाने के बावजूद दो जून की रोटी भी नसीब न होती थी। रोटी की बात कौन कहे जूठन नसीब होना भी कम मुश्किल न था। विद्यालय का हेडमास्टर चूहड़े के बेटे को विद्यालय में पढ़ाना नहीं चाहता है, उसका खानदानी काम ही उसके लिए है। चूहड़े का बेटा है लेखक, इसलिए पत्तलों का जूठन ही उसका निवाला है।
(3) महाविद्यालय परित्याग प्रमाण-पत्र हेतु अपने महाविद्यालय के एक आवेदन पत्र लिखे
आदरणीय महोदय/ महोदया, नम्र निवेदन यह है की मैं आपके विद्यालय / महाविद्यालय का छात्र हूँ और इस वर्ष मैंने कक्षा 12वीं की परीक्षा उतीर्ण कर ली है। उच्च अध्ययन के लिए किसी दुसरे महाविद्यालय में प्रवेश हेतु मुझे ‘विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र’ की आवश्यकता है। मैंने अपने सभी बकाया राशि का भुगतान कर दीया है, और सभी आवश्यक दस्तावेज इस पत्र के साथ संलग्न हैं।
अतः आपसे आग्रह है की कृपया परित्याग प्रमाण-पत्र निर्गत करने की कृपा करें जिसके लिये मैं आपका आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी छात्र,
(4.) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें :
(i) गौतम बुद्ध ने आनंद से क्या कहा ?
ANS- बुद्ध ने आनंद से कहा कि “यही स्थिति हमारे मन की भी है. जीवन की परेशानियां उसे विक्षुब्ध कर जाती हैं, मथ देती हैं. पर कोई यदि शांति और धीरज से उसे बैठा देखता है रहे, तो मन का मैल अपने आप नीचे बैठ जाता है और आप एक बार फिर साफ दिल से आगे बढ़ते हैं.
(ii) ‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ क्या है ?
ANS- आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन बात करने की ऐसी कला है जिसमें बहुत रोचकता,
यथार्थता से बात किया जाता है। यह युरोप के लोगों में बहुत प्रसिद्ध है। (iii) लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता
ANS- लहना के गाँव में एक तुर्की मौलवी पहुँचकर वहाँ के लोगों को प्रलोभित क्या-क्या कहता है। वह उनलोगों को मीठी-मीठी बातों से भुलावे में डालने का प्रयास करता है। वह गाँववालों को कहता है कि जब जर्मन शासन आएगा तो तुमलोगों के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। तुमलोग सुख-चैन की वंशी बजाओ सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाएँगी। .
(vi) तुलसी, सीता से कैसी सहायता माँगते हैं ?
ANS- तुलसी माता सीता से निवेदन करते हैं कि माता अवसर पाकर मुझे अंगहीन, निस्तेज की करूण कथा सुने तथा प्रभु श्री राम को मेरी दयनीय के बारे में बताये ताकि प्रभु की कृपया दृष्टि मुझ पर हो और मैं प्रभु का गुण – करता हुआ तर जाऊँ। (
v) गायें किस ओर दौड़ पड़ीं ? सूरदास रचित प्रथम पद के पर बतलाएँ ।
ANS- भोर हो गयी है, दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए बालक कृष्ण को भोर होने का संकेत देते हुए जगाया जा रहा है। प्रथम पद भोर होने के संकेत दिए गए हैं. कमल के फूल खिल उठे हैं, पक्षीगण शोर मचा र गायें अपनी गौशालाओं से अपने- अपने बछड़ों की ओर दूध पिलाने हेतु दौड़
( 5) निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।
(i ) लहना सिंह का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर → लहनासिंह से हमारा पहला परिचय अमृतसर के बाजार में होता है। उसकी उम्र सिर्फ 12 वर्ष है। किशोर वय, शरारती चुलबुला । उसका यह शरारतीपन बाद में युद्ध के मैदान में भी दिखाई देता है। वह अपने मामा के यहाँ आया हुआ है। वहीं बाजार में उसकी मुलाकात 8 वर्ष की एक लड़की से होती है। अपनी शरारत करने की आदत के कारण वह लड़की से पूछता है- “तेरी कुड़माई हो गई।” और फिर यह मजाक ही उस लड़की से उसका संबंध सत्र बन जाता है। लेकिन मजाक-मजाक में पूछा गया यह सवाल उसके दिल में उस अनजान लड़की के प्रति मोह पैदा कर देता है। ऐसा ‘मोह’ जिसे ठीक-ठीक समझने की उसकी उम्र नहीं है। लेकिन जब लड़की बताती है कि हाँ उसकी सगाई हो गई है, तो उसके हृदय को आघात लगता है। शायद उस लड़की के प्रति उसका लगाव इस खबर को सहन नहीं कर पाता और वह अपना गुस्सा दूसरों पर निकालता है। लहनासिंह के चरित्र का यह पक्ष अत्यंत महत्त्वपूर्ण तो है लेकिन असामान्य नहीं। लड़की के प्रति लहनासिंह का सारा व्यवहार बालकोचित है। लड़की के प्रति उसका मोह लगातार एक माह तक मिलने-जुलने से पैदा हुआ है और यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन लहनासिंह के चरित्र की एक और विशेषता का प्रकाशन बचपन में ही हो जाता है, वह है उसका साहस। अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे को बचाने की कोशिश लहनासिंह जब सूबेदारनी से मिलता है तो वह बताती है कि किस तरह एक बार उसने उसे तांगे के नीचे आने से बचाया था और इसके लिए वह स्वयं घोड़े के आगे चला गया था। इस तरह लहनासिंह के चरित्र के ये दोनों पक्ष आगे कहानी में उसके व्यक्तित्व को निर्धारित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। एक अनजान बालिका के प्रति मन में पैदा हुआ स्नेह भाव और दूसरा उसका साहस ।
(iii) शिक्षा का क्या अर्थ है ? इसके कार्य एवं उपयोगिता स्पष्ट करें। मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का अर्थ शिक्षा है। इसमें मनुष्य का साक्षरता बुद्धिमत्ता, जीवन कौशल व अन्य सभी
उत्तर
समाजोपयोगी गुण पाये जाते हैं। शिक्षा के अन्तर्गत विद्यार्थी का विद्यालय जाना, विविध विषयों की पढ़ाई करना, परीक्षाएँ उत्तीर्ण होना, जीवन में ऊँचा स्थान प्राप्त करना, दूसरों से स्पर्धा करना, र्ष करना एवं जीवन के सर्व पहलुओं का समुचित अध्ययन करना ये सारी चीजें शिक्षा के अन्तर्गत आती हैं। साथ ही जीवन ही समझना शिक्षा है।
शिक्षा के कार्य शिक्षा का कार्य केवल मात्र कुछ नौकि और व्यवसायों के योग्य बनाना ही नहीं है बल्कि संपूर्ण जीवन प्रक्रिया बाल्यकाल से ही समझाने में सहयोग करन एवं स्वतंत्रतापूर्ण परिवेश हेतु प्रेरित करना भी
(iv) पठित पदों के आधार पर पर तुलसी की भक्ति भावना का परिचय दीजिए ।
ANS- तुलसीदास भक्तिकाल की राम काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है । ने रामचरितमानस के भगवान राम की भक्ति को घर-घर तक है। जहाँ तुलसी का साहित्य भक्ति-भावना जागृत करता है वही सामाजिक चेतना का भी प्रसार करता है।
(6) निम्नलिखित अवतरणों में से किसी एक का संक्षेपण कीजिए:
ANS- शीर्षक- जल संरक्षण
संक्षेपण – जीवन की कल्पना जल के बिना नही हो सकता | अतः जल का संरक्षण जरुरी है |
10. लहना के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता है?
उत्तर = लहना के गाँव में एक तुर्की मौलवी पहुँचकर वहाँ के लोगों को प्रलोभित करता है। वह उनलोगों को मीठी-मीठी बातों से भुलावे में डालने का प्रयास करता है। वह गाँववालों को कहता है कि जब जर्मन शासन आएगा तो तुमलोगों के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। तुमलोग सुख-चैन की वंशी बजाओगे। तुम्हारी सारी आवश्यकताएँ पूरी हो जाएँगी।
3. गायें किस ओर दौड़ पड़ी?
उत्तर- भोर हो गयी है, दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने का संकेत देते हुए जगाया जा रहा है। प्रथम पद में भोर होने के संकेत दिए गए हैं-कमल के फूल खिल उठे है, पक्षीगण शोर मचा रहे हैं, गायें अपनी गौशालाओं से अपने-अपने बछड़ों की ओर दूध पिलाने हेतु दौड़ पड़ी।
3. आर्ट ऑफ़ कन्वर्सेशन ‘ क्या है ?
उत्तर- यह
बात करने की एक ऐसी कला होती है जिसमे बातचीत के दौरान चतुराई के साथ प्रसंग छोड़े जाते है जिन्हें सुनकर अत्यंत सुख मिलता है । यह कला यूरोप के लोगो में ज्यादा पाई जाती है
2. ‘उसने कहा था’ पाठ के आधार पर लहनासिंह का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर → लहनासिंह से हमारा पहला परिचय के बाजार में होता है। उसकी उम्र सिर्फ
12 वर्ष है। किशोर वय, शरारती चुलबुला । उसका यह शरारतीपन बाद में युद्ध के
मैदान में भी दिखाई देता है। वह अपने मामा के यहाँ आया हुआ है। वहीं बाजार में
उसकी मुलाकात 8 वर्ष की एक लड़की से होती है। अपनी शरारत करने की आदत
के कारण वह लड़की से पूछता है- “तेरी कुड़माई हो गई।” और फिर यह मजाक ही
उस लड़की से उसका संबंध सत्र बन जाता है। लेकिन मजाक-मजाक में पूछा गया
यह सवाल उसके दिल में उस अनजान लड़की के प्रति मोह पैदा कर देता है। ऐसा
‘मोह’ जिसे ठीक-ठीक समझने की उसकी उम्र नहीं है। लेकिन जब लड़की बताती है
कि हाँ उसकी सगाई हो गई है, तो उसके हृदय को आघात लगता है। शायद उस
लड़की के प्रति उसका लगाव इस खबर को सहन नहीं कर पाता और वह अपना
गुस्सा दूसरों पर निकालता है। लहनासिंह के चरित्र का यह पक्ष अत्यंत महत्त्वपूर्ण तो
है लेकिन असामान्य नहीं। लड़की के प्रति लहनासिंह का सारा व्यवहार बालकोचित
है। लड़की के प्रति उसका मोह लगातार एक माह तक मिलने-जुलने से पैदा हुआ है
और यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन लहनासिंह के चरित्र की एक और
विशेषता का प्रकाशन बचपन में ही हो जाता है, वह है उसका साहस अपनी जान
जोखिम में डालकर दूसरे को बचाने की कोशिश । लहनासिंह जब सूबेदारनी से
दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है ?
उत्तर- जयप्रकाश जी के अनुसार दलविहीन लोकतंत्र मार्क्सवाद और लेनिनवाद के मूल उद्धेश्यों में है। मार्क्सवाद के अनुसार समाज जैसे- जैसे साम्यवाद की ओर बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे राज्य- स्टेट का क्षय होता जायेगा और अंत मे एक स्टेटलेस सोसाइटी कायम होगा। वह समाज अवश्य ही लोकतांत्रिक होगा, बल्कि उसी समाज मे लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप प्रकट होगा और वह लोकतंत्र निश्चय ही दलविहीन होगा।