Q.1. मुस्लिम लीग के उद्देश्य क्या थे?
Ans. मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में ढाका में हुई। शीघ्र ही लोग यू०पी० के विशेषकर अलीगढ़ के संभ्रांत वर्ग के प्रभाव में आ गई। 1940 के दशक में पार्टी भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की स्वायत्तता या फिर पाकिस्तान की माँग करने लगी।
Q.2. लार्ड माउंटबेटन ने विभाजन की योजना को लागू करने में क्या भूमिका निभायी ?
Ans. भारत विभाजन की योजना को लागू करने और उस पर कविस तथा लोग को सहमत करने में सबसे बड़ी भूमिका लार्ड और लेडी माउंटबेटन ने निभायी। उन्होंने अपनी सूझ-बूझ, कूटनीति तथा व्यक्तिगत प्रभाव द्वारा एक ही मास में नेहरू और पटेल को विभाजन के लिए तैयार कर लिया। अपने साथियों को हथियार फेंकते देखकर गाँधीजी ने भी दुःखी मन से विभाजन स्वीकार कर लिया। फलस्वरूप भारत का विभाजन कर दिया गया।
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Q.3. मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग क्यों की गई ?
Ans. 1940 ई० में जिन्नाह की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पास करके माँग की कि आजादी के बाद देश के दो भाग कर दिए जाएँ और मुसलमानों के लिए पाकिस्तान नाम का एक राज्य अलग बनाया जाय। लगभग एक दशाब्दी पहले 1930 में भी इसी प्रकार के विचारों को मोहम्मद इकबाल ने प्रकट किया था। पाकिस्तान के बारे में अपनी माँग पर मुस्लिम लीग की राय पूरी तरह स्पष्ट नहीं थी। उपमहाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए सीमित स्वायत्तता की माँग से विभाजन होने के बीच बहुत ही कम समय केवल सात वर्ष रहा।
Q.4. पूना पैक्ट के बारे में आप क्या जानते हैं?
Ans. साम्प्रदायिक पंचाट के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, पं० मदन मोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, राजगोपालाचारी और डॉ० भीमराव अम्बेदकर ने पूना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ० अम्बेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।
Q.5 क्या भारत का बेटा अचानक हुआ? (Why did Partition as was a sudden development?)
Ans कुछ लोगों को ऐसा लगता था कि विभाजन बहुत अचानक से गंगा क्यों 23 मार्च 1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में भी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए सीमित स्वायता की मांग की गई थी। • मुस्लिम लीग की सीमित स्वायत्तता और विभाजन के मध्य 1940 से 1947 तक को
केवल सात वर्ष का समय था जिसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए और विभाजन हो गया। • इसके अतिरिक्त किसी को मालूम नहीं था कि पाकिस्तान के गठन का क्या अभिप्राय है और उसके बाद क्या होगा ? यहाँ तक कि 1947 में विभाजन के समय अपने मुख क्षेत्र को छोड़कर जाने वाले लोगों को भी आशा थी कि शान्ति की स्थापना के
पश्चात् वह अपने क्षेत्र में लौट जाएंगे। मुस्लिम नेता भी प्रारम्भ में पाकिस्तान की माँग के प्रति गम्भीर नहीं थे। जिन्ना भी पाकिस्तान को माँग को सौदेबाजी में एक बाल के रूप में प्रयोग करना चाहते थे ताकि सरकार से काँग्रेस को मिलने वाली रियायतों को कम और मुसलमानों को अधिक रियायतें दिलवा सके।
• 1946 में कैबिनेट मिशन ने भी एक ढीले-ढाले विस्तरोग महासंघ का सुझाव दिय था और इसे प्रारम्भ मे सभी पार्टियों ने स्वीकार कर लिया था। परन्तु बाद में मतभेद होने पर लोग ने अपना समर्थन वापस ले लिया और पाकिस्तान की माँग की। इस प्रकार यह कथन उचित है कि विभाजन अचानक हुआ था। 1946 में कैबिनेट मिशन की असफलता व लीग के समर्थन को वापसी के पश्चात् का घटनाक्रम इसके लिए उत्तरदायी था।
Q.6. विभाजन के खिलाफ महात्मा गाँधी की दलील क्या थी?
(T.B.Q.) Ans. महात्मा गांधी धार्मिक सद्भावना में विश्वास रखते थे और सभी सम्प्रदायों की एकता के समर्थक थे। इसलिए वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। वे नहीं चाहते थे सदियों से तथा एक साथ रहने वाले हिन्दू-मुस्लिम भाई एक-दूसरे से बिछुड़ जाए। • वे कहा करते थे कि विभाजन उनकी लाश पर होगा। अतः उन्होंने समझौता करने के अपने प्रयास अंत तक जारी रखे। परन्तु लूटमार, रक्तपात, अपहरण आदि की घटनाओं ने वातावरण को पूरी तरह दूषित कर दिया। ऐसे में विभाजन के विरोधी काँग्रेस के सभी नेताओं ने विभाजन के निर्णय को स्वीकार कर लिया। उससे गाँधीजी को गहरा आघात पहुँचा। परन्तु वे विवश थे। अतः उन्हें भी बुझे मन से विभाजन को स्वीकार करना पड़ा।
Q.7 कैबिनेट मिशन भारत क्यों आया?
Ans. क्लेमेंट ऐटली की घोषणा के अनुसार भारत में कैबिनेट मिशन भेजा गया। इस मिशन के तीन सदस्य थे- लार्ड पैथिक लारेंस, सर स्टैफोर्ड क्रिप्स एवं ए० वी० अलेक्जेण्डर। मिशन ने भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों से बाचतीत की और अन्त में मिशन ने दोनों दलों को अपने निर्णय पर राजी कर लिया। 16 जुलाई, 1946 ई० को कैबिनेट मिशन ने अपनी योजना प्रस्तुत की। विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव
Q.8. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन वृत्त दें।
Ans. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद भारत के संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष नियुक्त हुए। देश-सेवा के लिए उनको अनेक बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के बाद इन्होंने बिहार के किसानों तथा बिहार की जनता को सफल नेतृत्व प्रदान किया। 1952 के प्रथम निर्वाचन के बाद राजेन्द्र बाबू भारत के प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इसके बाद 1957 में दूसरी बार पुनः भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। निःसन्देह उनका अस्तित्व और व्यक्तित्व दोनों महान था।
Q.9. द्विराष्ट्र सिद्धांत’ का क्या अर्थ है ?
Ans. द्विराष्ट्र सिद्धान्त से अभिप्राय यह है कि हिन्दुओं एवं मुसलमानों के दो अलग-अलग राष्ट्र (देश) हो। यह सिद्धान्त इस आधार पर मिथ्या था कि मध्यकाल में हिन्दुओं तथा मुसलमानों ने एक सांझी संस्कृति का विकास किया। सन् 1857 की क्रान्ति में भी वे एकजुट लड़े।
Q.10. सन् 1947 में भारत-विभाजन के दो कारण बताइए।
Ans. भारत विभाजन के दो कारण निम्नलिखित थे- ने हिन्दू-मुस्लिम भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर बनाने के लिए अंग्रेज सरकार में फूट डाली, जिसका परिणाम देश का विभाजन था। • 1945 में ब्रिटेन में बनी मजदूर दल की सरकार द्वारा भारतीयों को स्वतंत्रता दिलाने के लिए वचन दिया गया था। विभाजन का प्रश्न भी स्वतंत्रता के साथ जुड़ा हुआ था।
Q.11. वेवेल योजना क्या था? यह सफल क्यों नहीं हुआ ?
Ans. लार्ड वेवल अक्टूबर, 1943 ई० में भारत आए थे। उन्होंने भारत के संवैधानिक प्रधानग तिरोध को दूर करने के लिए कुछ बातें प्रस्तुत की- • गतिरोध समाप्ति के लिए गर्वनर जनरल की परिषद में वायसराय तथा
सेनापति को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय हो ।
हिन्दुओं और मुसलमानों की संख्या बराबर रखी जाएगी। • विदेशी विभाग भारतीयों को दिया जाएगा।
• युद्ध के बाद भारतीय अपने संविधान का निर्माण स्वयं करें। इन प्रस्तावों पर विचार करने के लिए शिमला में सभी राजनीतिक दलों का सम्मेलन बुलाया गया। लेकिन मुस्लिम सदस्य चुनने के मुद्दे पर सम्मेलन असफल हो गया
Q.12 रेलवे के विकास का नगरीकरण पर क्या प्रभाव हुआ?
Ans. रोलैण्ड मैक्डोनाल्ड स्टीफेन के प्रयास के फलस्वरूप ही भारत में रेल का आगमन 1853 में सम्भव हुआ। देश की अज्ञात संपत्ति, उच्च कोटि के खनिज आदि के महत्वपूर्ण आँकड़े इकडे कर आन्तरिक व्यापार के लिए माल का एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के महल को देखते हुए इन्होंने रेलवे शुरू करने की आवश्यकता की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कलकत्ता से मिर्जापुर, बनारस, इलाहाबाद और उसके आगे एक रेलवे लाइन के निर्माण की बात सोची। सन् 1853 ई० में बम्बई लाईन का कार्य पूरा हुआ और इस पर यात्री गाड़ी चालू की गयी। यह लाईन एशिया में पूरी होनेवाली पहली रेलवे लाईन थी। इस लाइन के पूरा होने पर डलहौजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि इससे सैनिक और व्यावसायिक दोनों को लाभ मिलेगा।
सन् 1947 में आजादी के समय तक चालीस हजार मील से अधिक साइन तैयार हो चुकी थी। इस प्रकार रेलवे विकास का नगरीकरण पर व्यापक असर पड़ा।