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Q.1. दिखाएँ कि लेन्ज का नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त का सीधा प्रतिफल है
(Show that Lenz’s law is a direct consequence of the law of conservation of energy) Ans. ऊर्जा संरक्षण का नियम यह व्यक्त करता है कि ऊर्जा को न तो उत्पन्न तथा न ही नष्ट किया जा सकता है परन्तु इसे एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। और 1. लेन्ज के नियमानुसार, प्रेरित विद्युत वाहक बल को दिशा इस प्रकार होती है कि यह उस कारण का विरोध करती है।माना कि एक छड़ चुम्बक जिसका उत्तरी ध्रुव कुण्डली के सम्मुख है, चुम्बक का उत्तरी ध्रुव तथा कुण्डली का उत्तरी ध्रुव एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है। चुम्बक को कुण्डली के निकट लाने पर, दोनों उत्तरी ध्रुवों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षण बल को सन्तुलित करने के लिए यांत्रिक कार्य किया जाता है। यह किया गया यांत्रिक कार्य विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। अतः लेन्ज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम का अनुसरण करता है।
Q.2.प्रकाश वर्ष क्या है?
Ans. एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश अपने निर्वात में एक वर्ष पूरा कर लेता है। यह इकाई के मुख्यतः लम्बी दूरियों-यथा दो तारों या गैलेक्सी जैसी अन्य खगोलीय वस्तुओं की बीच की दूरी मापने में प्रयोग की जाती है।
Q.3. क्रांतिक कोण और अपवर्तनांक के बीच संबंध स्थापित करें
Ans.क्रांतिक कोण सघन माध्यम में वह आपतन कोण जिस पर आपतित प्रकाश किरण के लिए विरल माध्यम में अपवर्तित किरण का अपवर्तन कोण 90° हो, दोनों माध्यमों के लिए क्रांतिक कोण कहलाता है। इसे अथवा
C से प्रदर्शित करते है।
अपवर्तनांक : अपवर्तनांक प्रकाशिक माध्यम का वह गुण है जिससे माध्यम द्वारा अपवर्तन को क्रिया में आपतित प्रकाश किरण को मोड़ने की क्षमता की माप होती है। यह निर्वात में आपतन कोण
(1) की ज्या तथा माध्यम में अपवर्तन कोण
(1) की ज्या के अनुपात के बराबर होता है,
Q.4. क्रांतिक कोण को परिभाषित करें। इसकी शर्तों को लिखें।
Ans. जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तब सघन माध्यम में किरण का वह आपतन कोण जिसके अनुरूप विरल माध्यम में अपवर्तित किरण का अपवर्तन कोण 90° होता है, दिए गए दो माध्यमों के लिए क्रांतिक कोण कहलाता है क्रांतिक कोण की शर्तें: प्रकाश की किरणों को प्रकाशीय सघन माध्यम से प्रकाशीय विरल माध्यम में गमन करना • आपतन कोण का मान उस माध्यम से क्रांतिक कोण से अधिक होना।
Q.5. प्रकाश की द्वैती प्रकृति (Dual Nature of Light) का वर्णन करें
Ans. प्रकाश की समस्त घटनाओं की व्याख्या केवल प्रकाश के तरंग-सिद्धान्त अथवा केवल फोटॉन सिद्धान्त से नहीं की जा सकती। प्रकाश के कुछ प्रभाव, जैसे–व्यतिकरण
(Interference), विवर्तन (Diffraction), ध्रुवण (Polarisation) आदि की व्याख्या प्रकाश के तरंग- सिद्धान्त के आधार पर ही सम्भव है, जबकि प्रकाश के कुछ अन्य प्रभावों, जैसे-प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव (Compton Effect) आदि की व्याख्या प्रकाश की कण-प्रकृति (प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त) के आधार पर ही सम्भव है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रकाश की ‘द्वैतो प्रकृति’(Daul nature) होती है अर्थात् प्रकाश में कणिक (फोटोन) तथा तरंग दोना हो गुण विद्यमान हैं। व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश तरंग की भाँति व्यवहार करता है, तथा प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश कणों की भाँति व्यवहार करता है।
Q.6. प्रकाश-विद्युत प्रभाव क्या है? प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम क्या है?
Ans. यदि धातु के सतह पर उचित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश आहोत के
सतह से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। इस घटना को प्रकाश-विद्युत प्रभाव कहा जाता है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को प्रकाश इलेक्ट्रॉन कहा जाता है।
प्रकाश विद्युत प्रभाव के नियम :
प्रथम Ist प्रकाश इलेक्ट्रॉन का महत्तम वेग (इसलिए महत्तम गतिज ऊर्जा) आपतित प्रकाश की आवृत्ति के साथ बढ़ती है। द्वितीय 2nd प्रति से० उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रकाश के तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है
Q.7. वोर के स्थायी कक्षा से आप क्या समझते हैं?
Ans. 1913 में बोर (Neils Bohr) ने रदरफोर्ड के परमाणु-मॉडल में प्लांक के क्वांटम सिद्धान्त को लगाकर हाइड्रोजन-प दिया। – परमाणु के स्पेक्ट्रम की सफल व्याख्या की तथा परमाणु का एक नया मॉडल
इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षाओं (circular orbits) में घूमता रहता है।
इन कक्षाओं में घूमनेवाले इलेक्ट्रॉन विकिरण नहीं उत्पन्न करते है। इन कक्षाओं को स्थायी कक्षाएँ
stable orbits) कहा जाता है। किसी भी स्थायी कक्षा के लिए इलेक्ट्रॉन और नाभिक के बीच
क्रियाशील आकर्षण बल आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है। • इलेक्ट्रॉन की सभी कक्षाएँ
Q.8,.हाइड्रोजन परमाणु का मूल अवस्था एवं उत्तेजित अवस्थाओं की ऊर्जाओं का मान लिखें
। Ans. मूल अवस्था में ऊर्जा • 13.6 ev 3-
प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 3.4 ev द्वितीय उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = L51 ev
तृतीय उत्तेजित अवस्था में = ऊर्जा -0.85 ev
Q.9. बोर सिद्धांत की कमियाँ लिखें।
Ans. वोर सिद्धांत की कमियाँ :- (i) यह सिद्धांत परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के वितरण को सफलतापूर्वक नहीं समझ सका। (ii) यह सिद्धांत केवल एक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं के स्पेक्ट्रम की व्याख्या कर सका।
Q.10. कुलिज ट्यूब के मुख्य घटक क्या है? (What are major elements of Coolidge tube?)
Ans. कुलिज नली में कैथोड किरण या इलेक्ट्रॉनों का उत्पादन तापायनिक प्रभाव (Thermonic (effect) से किया जाता है। कूलिज ट्यूब में दो नलियाँ लगी रहती है, एक नली में टंगस्टन का तुFहोता है जिसमें एक बैटरी B के द्वारा धारा प्रवाहित की जाती है। तन्तु के गर्म होने पर उसमें से तापायनिक प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। तन्तु के चारों ओर मोलिब्डेनम का एक बेलन C होता है, जिसे तन्तु के सापेक्ष ऋण विभव पर रखा जाता है। तन्तु F के ठीक सामने ताँबे का एक ब्लॉक होता है जिसका तल इलेक्ट्रॉन-पुंज के मार्ग से 450 पर झुका होता है। इसमें तल पर टंगस्टन अथवा मोलिब्डेनम जैसी उच्च द्रवणांक तथा अधिक परमाणु भार वाली धातु का टुकड़ा लगा रहता है। ताँबे का ब्लॉक एक ताँबे की खोखली नली के सिरे पर स्थित होता है जिसमें ठण्डा जल प्रवाहित किया जाता है। पूरी नलिका सीसे के एक खोल से घिरी होती है। नली तन्तु धारा को घटा-बढ़ाकर X-ray की तीव्रता घटायी बढ़ावी जा सकती है।
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