Q.1. प्रकाश की हैती प्रकृति (Dual Nature of Light) का वर्णन करें।

Ans. प्रकाश की समस्त घटनाओं की व्याख्या केवल प्रकाश के तरंग-सिद्धान्त अथवा केवल फोटॉन सिद्धान्त से नहीं की जा सकती। प्रकाश के कुछ प्रभाव, जैसे- व्यतिकरण (Interference), विवर्तन (Diffraction), ध्रुवण (Polarisation) आदि की व्याख्या प्रकाश के तरंग- सिद्धान्त के आधार पर ही सम्भव है, जबकि प्रकाश के कुछ अन्य प्रभावों, जैसे प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव (Compton Effect) आदि की व्याख्या प्रकाश की कण-प्रकृति (प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त) के आधार पर ही सम्भव है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रकाश की ‘द्वैती प्रकृति’ ( Daul nature) होती है अर्थात् प्रकाश में कणिक (फोटोन) तथा तरंग दोनों ही गुण विद्यमान है। व्यतिकरण, विवर्तन, धुवण आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश तरंग की भाँति व्यवहार करता है, तथा प्रकाश-विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव आदि कुछ घटनाओं में प्रकाश कणों की भाँति व्यवहार करता है।

Q:2. माहुलन को परिभाषित करें। इसके प्रकारों को लिखें।

Ans. दूरी बढ़ने पर संचार प्रक्रिया प्रभावी नहीं हो पाती है। अतः निम्न आवृत्ति के मूल सिग्नलों (संदेशों, सूचनाओं) को अधिक दूरी तक प्रेषित नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रेषित पर, निम्न आवृत्ति के संदेश सिग्नलों की सूचनाओं को किसी उच्च आवृत्ति को तरंग पर अध्यारोपित किया जाता है जो सूचना के वाहक की भाँति व्यवहार करती है। इस प्रक्रिया को मॉडुलन कहते है। मॉडुलन तीन प्रकार से होते हैं- (i) आयाम मॉडुलन (Amplitude modulation) (ii) आवृत्ति मॉडुलन (Frequency)

modulation) (iii) कला मॉडुलन (Phase modulation).

Q.3. सौर सेल को समझायें।

Ans. सौर सेल (Solar Cell) यह P-N सन्धि डायोड जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है, सौर सेल कहा जाता है। इन सेलों को बड़े पैमाने पर उपयोग

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सार्वजनिक स्थलों पर प्रकाश हेतु, सौर गीजरों तथा प्रक्षेपकों में किया जाता है। सौर सेल प्रकाश विभव प्रक्रिया के सिद्धान्त पर कार्य करते हैं अर्थात् प्रकाश विद्युत।

उत्सर्जन किन्ही उपयुक्त पदार्थों के बीच विभवान्तर उत्पन्न कर सकता है।

Q.4. वीटा (B) किरणों के दो गुणों को लिखें।

Ans. 3-किरणों के गुण : (i)8-काण एक तीव्रगामी इलेक्ट्रॉन (129) होता है। (ii) B

कण पर ऋणात्मक आवेश इलेक्ट्रॉन पर आवेश के बराबर होता है। (iii) ये विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्रों में विक्षेपित हो जाते हैं।

(2020)

Q.5. उच्चायी ट्रांसफॉर्मर का उपयोग बतायें।

Ans. उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती वोल्टता को निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता मे परिवर्तित करने में जो धारा प्रयुक्त होती है उसे उन्यायी ट्रांसफार्मर कहते हैं उच्चायी ट्रांसफार्मर का अधिकतम व्यवहार प्रत्यावर्ती धारा के विद्युत संचार में होता है।

Q.6. n टाइप तथा p-टाइप अर्द्धचालक में अन्तर स्पष्ट करें।

Ans. – टाइप तथा p- टाइप अर्द्धचालक में निम्नलिखित अन्तर हैं-

1. – टाइप अर्द्धचालक शुद्ध जर्मेनियम में पंच संयोजी अपद्रव्य (जैसे-फॉस्फोरस ऐण्टिमनी)

Q.7.राम-य (Copper loss in transformer) को समझायें।

(2021) Ans. नाम क्षय: ट्रांसफर्मर के पैरों में होने वाली ऊर्जा हानि को तामिक हानि कहते है। ट्रांसफार्मर की प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडलियाँ सामान्यः ताँबे के सार की बनी होती है। यि तांबे के तार का प्रतिरोध (R) होता है। जब इन तारों से होकर धारा (1) प्रवाहित होती है तो शक्ति छनि (FR)होती है। यह हानि प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडलियों में ऊष्मा उत्सर्जन के रूप में देखी जा सकती है।

Q.8. कुलिज ट्यूव के मुख्य घटक क्या है ?

(What are major elements of Coolidge tube?) Ans. कुलिज नली में कैथोड किरण या इलेक्ट्रॉनों का उत्पादन तापायनिक प्रभाव (Thermonic effect) से किया जाता है। कूलिज ट्यूब में दो नलियाँ लगी रहती है. एक नली में टंगस्टन का तंतुFहोता है जिसमें एक बैटरी B के द्वारा धारा प्रवाहित की जाती है। तन्तु के गर्म होने पर उसमें से तापावनिक प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। तन्तु के चारों ओर मोलिब्डेनम का एक बेलन C होता है, जिसे तन्तु के सापेक्ष ऋण विभव पर रखा जाता है। तन्तु F के ठीक सामने ताँबे का एक ब्लॉक होता है जिसका तल इलेक्ट्रॉन-पुंज के मार्ग से 450 पर झुका होता है। इसमें तल पर टंगस्टन अथवा मोलिब्डेनम जैसी उच्च द्रवणांक तथा अधिक परमाणु भार वाली धातु का टुकड़ा लगा रहता है। तांबे का ब्लॉक एक ताँबे की खोखली नली के सिरे पर स्थित होता है जिसमें ठण्डा जल प्रवाहित किया जाता है। पूरी नलिका सीसे के एक खोल से घिरी होती है। नली तन्तु धारा को घटा-बढ़ाकर X-ray की तीव्रता घटायी बढ़ायी जा सकती है।

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Q9. प्रकाश वर्ष क्या है ?

Ans. एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश अपने निर्वात में एक वर्ष पूरा कर लेता है। इकाई के मुख्यतः लम्बी दूरियों यथा दो तारों या गैलेक्सी जैसी अन्य खगोलीय वस्तुओं की योग की दूरी मापने में प्रयोग की जाती है।

 

Q.10. किन कारणों से ट्रांसफॉर्मर की दक्षता घटती है? Ans. ट्रांसफॉर्मर द्वारा विद्युत वाहक बल में परिवर्तन होने से धारा की प्रबलता में भी उसी अनुपात में विपरीत परिवर्तन हो जाता है अर्थात् विद्युत वाहक बल के बढ़ने पर धारा घट जाती है तथा विद्युत वाहक बल के घटने पर धारा उसी अनुपात में बढ़ जाते है। अतः आदर्श अवस्था में निर्गत शक्ति = निवेशित शक्ति, इसलिए आदर्श अवस्था में ट्रांसफॉर्मर की दक्षता n = निर्गत शक्ति / निवेशित शक्ति का मान । होना चाहिए। परन्तु व्यवहार में द्वितीयक कुण्डली से प्राप्त ऊर्जा प्राथमिक कुण्डली को दी गयी ऊर्जा से कुछ कम होती है। इसलिए ट्रांसफॉर्मर की दक्षता आदर्श अवस्था अर्थात् से कम होती है

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