1. बी की कला अर्थात् ‘आर्ट ऑफ करवाशेम क्या है? (2011 A)
उत्तरः प्रस्तुत निबंध में शक्कीम आर्ट ऑफर के आकर्षण शक्ति को प्रतिविनित किया गया है। यूरोप के लोगों का ‘आर्ट ऑफ कनरसन’ ग प्रसिद्ध है। ‘आर्ट ऑफ कनवरशेसन’ का अर्थ है-साप की कसा ‘आर्ट ऑफ कनवरगन के हुनर की बराबरी स्पीच और लेख दोनों नहीं कर पाते। इस हुनर की पूर्ण शोभा काव्या प्रवीण विद्वतमंडली में है। इस कला के माहिर व्यक्ति ऐसे तुराई से प्रसंग छोड़ते हैं कि श्रोताओं के लिए बातचीत कर्णप्रिय तथा अत्यंत सुखदायी होते हैं। सुद्ध गोष्टी इसी का नाम है। सुहृद गोष्ठी की विशेषता है कि वक्ता के वाकचातुर्य का अभिमान या कष्ट नहीं हो पाता तथा बातचीत की सरसता बनी रहती है।
प्रश्न 2. बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडीसन के क्या विचार है ?
उत्तरः मनुष्य की गुण-दोष प्रकट करने के लिए बातचीत आवश्यक है। वेन जॉनसन के अनुसार, “बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है, जो सर्वदा उचित है।” एडीसन के मतानुसार “असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है, जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते हैं तभी अपना एक-दूसरे के सामने दिल खोलते हैं। तीसरे की उपस्थिति मात्र से ही बातचीत की धारा बदल जाती है।” तीन व्यक्तियों के बातचीत की मनोवृत्ति के प्रसरण की वह धारा बन जाती है मानो उस त्रिकोण की तीन रेखाएँ है। बातचीत में जब नार व्यक्ति लग जाते हैं तो ‘बेतकल्लुफी’ का स्थान से लेती है। प्रश्न 3. अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता?
(2012 A, 2022 S) उत्तर: ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों में वाक्शक्ति मनुष्य के लिए वरदान है। वाक्शक्ति के अनेक फायदों में ‘स्पीच’, वक्तृता और बातचीत दोनों का समावेश होता है। वाक्शक्ति के अभाव में वृष्टि गूँगी रहती। वाक्शक्ति के अभाव में मनुष्य सुख-दुख का अभाव अन्य इन्द्रियों के द्वारा करता है और सबसे विकट स्थिति तो आपस में संवादहीनता की स्थिति होती । बातचीत जहाँ दो आदमी का प्रेमपूर्वक संलाप है, वाक्शक्ति के अभाव में चुटीली व्यंग्यात्मक बात कहकर तालियाँ बटोरना भी संभव न होता।
प्रश्न 4. राम रमौयल का क्या अर्थ है?
उत्तर: (केवल बातें करना)- दो से अधिक लोगों के बीच बातचीत केवल राम-रमोवल
कहलाती है।
• 2. उसने कहा था – चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
प्रश्न 5. ‘उसने कहा था’ कहानी पहली बार कब प्रकाशित हुई थी ?
उत्तर: ‘उसने कहा था’ कहानी पहली बार 1915 में प्रकाशित हुई थी।
प्रश्न 6. ‘उसने कहा था’ कहानी का प्रारंभ कहाँ और किस रूप में होता है?
उत्तर: ‘उसने कहा था’ कहानीकार चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की अमर कथा रचना है। यह “वह कालजयी रचना है, जिससे आधुनिक हिन्दी कहानी का आरंभ होना मान्य है। इस कहानी का प्रारंभ अमृतसर के भीड़ भरे बाजार से होता है, जहाँ बम्बू काँटे वालों के बीच से होक बारह वर्षीय एक लड़का (लहना सिंह) आठ वर्षीया एक लड़की को तांगे के नीचे आने के बचाता है। दोनों सिक्ख है। लड़का लड़की से पूछता है- ‘तेरी कुड़माई (मंगनी) हो गई है,सुनकर लड़की ‘धत्’ कहकर भाग जाती है। वही लड़की बाद में धत् कहकर भागने की बजाय यह कहती है कि, ‘हाँ, कल हो गई। देखते नहीं यह रेशम के फूलों वाला सालू ?” यह सुनकर लड़का हतप्रभ रह जाता है। इस प्रकार लड़का अपने हृदय में लड़की के प्रति उत्पन्न प्रेम को सहेजे रहता है।
प्रश्न 7. “कहती है तुम राजा हो मेरे मुल्क को बचाने आए हो।” वजीरा के इस कथन में किसकी ओर संकेत है ? उत्तर: यह कथन इंगलैंड की महिला (फिरंगी मेम) ने कहा था। फिरंगी मेम से ब्रिटेन,
फ्रांस आदि की ओर संकेत है।
प्रश्न 8. लहनासिंह कौन था ?
(2011A) उत्तर: लहनासिंह ‘उसने कहा था’ का नायक है। लहनासिंह जर्मनी की लड़ाई में लड़ने
जाने वाले नम्बर 77 सिख राइफल्स में जमादार है।
प्रश्न 9. सूबेदार और उसका लड़का लड़ाई में क्यों गये?
उत्तर: सूबेदार और उसका लड़का जर्मन सैनिकों के विरुद्ध लड़ने गए थे।
3. संपूर्ण क्रांति -जयप्रकाश नारायण
प्रश्न 10. जयप्रकाश नारायण की पत्नी का क्या नाम था? वह किसकी पुत्री थी? (2021 S+C)
उत्तर: जयप्रकाश नारायण की पत्नी का नाम प्रभावती देवी था। वे प्रसिद्ध गाँधीवादी ब्रजकिशोर प्रसाद की पुत्री थी।
-प्रश्न 11. दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है?
(2019 A)
उत्तर: जयप्रकाश जी के अनुसार दलविहीन लोकतंत्र मार्क्सवाद और लेनिनवाद के मूल उद्देश्यों में है। मार्क्सवाद के अनुसार समाज जैसे-जैसे साम्यवाद की ओर बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे राज्य-स्टेट का क्षय होता जायेगा और अंत में एक स्टेटलेस सोसाइटी (राज्यविहीन समाज) कायम होगा। वह समाज अवश्य ही लोकतांत्रिक होगा, बल्कि उसी समाज में लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप प्रकट होगा और वह लोकतंत्र निश्चय ही दलविहीन होगा। प्रश्न 12. भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे ?
(2012 A, 2022A) उत्तर: आजादी के बाद जो स्वराज मिला उससे जेपी खुश नहीं थे। आजादी के बाद भी भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत हुई है। बगैर घूस या रिश्वत दिये जनता का कोई कार्य नहीं होता। शिक्षा संस्थाएं भी भ्रष्ट हो गई है।
भ्रष्टाचार संबंधी जेपी के विचार उचित है। भ्रष्टाचार को जड़ मूल से नष्ट करने हेतु व्यवस्था में परिवर्तन लाना होगा। किरानी राज खत्म करना होगा। नौकरशाही को जड़-मूल से नष्ट करना होगा। आज के नौकरशाह अभी भी अपने को जनता का सेवक नहीं समझते। वे अपने को सरकारी कर्मचारी मानते हैं जो गुलामी के समय उनकी सोच थी वही सोच आज भी वर्तमान है। नौकरशाहों को जनता का सेवक समझना होगा तभी भ्रष्टाचार को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 13. जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए? (2022A) उत्तर: जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि उस समय भारत गुलाम था। उन्होंने लेनिन से जो सीखा था वह यह सीखा था कि जो गुलाम देश हैं, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं, उनको कदापि वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नही रखना चाहिए। चाहे उस लड़ाई का नेतृत्व ‘बुर्जुआ क्लास’ करता हो या पूँजीपतियों के हाथ में उसका नेतृत्व हो
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