प्रश्न 1. पुरुष जब नारी के गुण लेता है तब वह क्या बन जाता है?
उत्तरः पुरुष जब नारी के गुण अपना ले तो उसकी मर्यादा हीन नहीं होती, बल्कि उसके पूर्णता में वृद्धि ही होती है। पुरुष अगर नारी की कोमलता, दया, सरलता जैसे गुण अपने में ले आये तो उसके जीवन में पूर्णता का बोध होता है।
प्रश्न 2. अर्द्धनारीश्वर की कल्पना क्यों की गई होगी ? (2012 S-C)
उत्तर: अर्द्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का काल्पनिक रूप है, जिसका आधा अंग पुरुष । और आधा अंग नारी का होता है। एक ही मूर्ति की दो आँखें, एक रसमयी और दूसरी का विकराल, एक ही मूर्ति की दो भुजाएँ- एक त्रिशुल उठाये और दूसरी की पहुंची पर चूड़ियाँ एवं एक ही मूर्ति के दो पाँव, एक जरीदार साड़ी से आवृत और दूसरा बाघंबर से ढका हुआ, यह कल्पना निश्चय ही शिव और शक्ति के बीच पूर्ण समन्वय दिखाने को की गई होगी।
प्रश्न 3. नारी की पराधीनता कब से प्रारंभ हुई ? (2013A, 2017 A, 2018 A. 2021 S+C, 2022) उत्तरः नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया। इसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बंट गई। नारी पराधीन हो गई। इस पराधीनता ने नर-नारी से वह सहज दृष्टि भी छीन ली जो नर-मादा पक्षियों में थी। इस पराधीनता के कारण नारी के सामने अस्तित्व का संकट आ गया। उसके सुख और दुख, प्रतिष्ठा और अपमान, यहाँ तक कि जीवन और मरण पुरुष की मर्जी पर टिकने लगा।
प्रश्न 4. ‘यदि संधि की वार्त्ता कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, कि महाभारत न मचता।’ बहुत (2019 A) उत्तरः यदि संधि की वार्ता कृष्ण और दुर्योधन के बीच न होकर कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था कि महाभारत नहीं होता। नारियों में इस भावना की फिक्र होने की संभावना प्रबल होती है कि दूसरी नारियों का सुहाग उसी प्रकार कायम रहे जैसा वे अपने बारे में सोचती है। ऐसा इसलिए कि नारियाँ पुरुषों की तुलना में कम कर्कश एवं कठोर हुआ करती हैं। कुंती एवं गांधारी दोनों अपने-अपने पुत्रों को राजा बनते देखना चाहती थीं, लेकिन इतना तय है कि इसके लिए इतना बड़ा रक्तसंहार वे कदापि स्वीकार नहीं करती।।
तो संभव था • 5.रोज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन’अज्ञेय’
प्रश्न 5. मालती के घर का वातावरण कैसा है ?अथवा, मालती के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उद्घाटन प्रस्तुत करें। अथवा ‘रोज’ कहानी में मालती को देखकर लेखक ने क्या सोचा?
उत्तर: वातावरण, परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढलते हुए एक गृहिणी के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उद्घाटन अत्यंत कलात्मक रीति से लेखक यहाँ प्रस्तुत करता है। डॉक्टर पति के काम पर चले जाने के बाद का सारा समय मालती को घर में एकाकी काटना होता है। उसका दुर्बल, बीमार और चिड़चिड़ा पुत्र हमेशा सोता रहता है या रोता रहता है। मालती उसकी देखभाल करती हुई सुबह से रात ग्यारह बजे तक के घर के कार्यों में अपने को व्यस्त रखती है। उसका जीवन ऊब और उदासी के बीच यंत्रवत चल रहा है। किसी तरह के मनोविनोद, उल्लास उसके जीवन में नहीं रह गये हैं जैसे वह अपने जीवन का भार ढोने में ही घुल रही हो ।
प्रश्न 6. गैंग्रीन क्या है ?
उत्तर: गैग्रीन एक खतरनाक रोग है। यह रोग काँटा के चुभने पर उसे नहीं निकालने के कारण नासूर बन जाता है जो ऑपरेशन करने के बाद ही ठीक हो पाता है। कॉटा अधिक दिन तक शरीर में रह जाने के कारण अपना विषाक्त प्रभाव शरीर पर छोड़ता है जो गैंग्रीन का रुप धारण कर लेता है और उससे प्रभावित अंग काटना पड़ता है। कभी-कभी तो इस रोग से पीड़ित रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
प्रश्न 7. मालती के पति महेश्वर की छवि उद्घाटित करें। (2018 A, 2022 S)
उत्तर: महेश्वर किसी पहाड़ी करने में एक सरकारी डिस्पेशरी में डॉक्टर है। रोज डिस्पेशरी जाना, मरीजों को देखना, गैग्रीन का ऑपरेशन करना, कामाद्रा घर लौटना, यी महेश्वर की दिनचर्या है। महेश्वर हर तीसरे चौथे दिन एक मीन का ऑपरेशन करता है। किन्तु अपने घर में
वहीं मैमीन, वही एकरसता मुँह फैलाये उपस्थित है, जिसका हम कुछ नहीं बिगाड़ पाते। इस
विरोधाभास और एकरसता को कहानी के भीतर संरचनात्मक स्तर पर बड़ी आत्मीयता और
महज अनुभूति से प्रतीको, बिम्बों, परिवेशों और फ्लैश बैंक के माध्यम से लेखक द्वारा
व्यक्त किया गया है।
• 6. एक लेख और एक पत्र भगत सिंह
प्रश्न 8. भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुंदर कहा है? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं। इस संबंध में उनके विचारों को स्पष्ट करें। अथवा, भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुंदर कहा है।
(2011 A)
उत्तर : भगत सिंह ने ‘सुखदेव के नाम पत्र’ में स्पष्ट किया है कि आत्महत्या किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं बल्कि वह एक जघन्य अपराध है। यह कायरता है, परिस्थितिजन्य विसंगति या असफलता से त्रस्त होकर आत्महत्या कर लेना व्यक्ति की सबसे बड़ी पराजय है। क्रांतिकारी सामान्य व्यक्ति नहीं होता। कोई भी मनुष्य आत्महत्या को उचित नहीं मानता, “क्रांतिकारी को तो इस विषय में कुछ सोचना भी नहीं चाहिए। भगत सिंह ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति के क्रम में यह स्पष्ट किया है कि हममें से जिन लोगों को विश्वास है कि उन्हें फाँसी दी जाएगी, उन्हें अपनी फाँसी के दिन की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यह फाँसी मृत्यु से भी सुंदर होगी। कुछ दुःखो से बचने के लिए आत्महत्या करना, एक कायरता है।
प्रश्न 9. भगत सिंह ने अपनी फाँसी के लिए किस मनुष्य की इच्छा व्यक्त की है? (2020 A)
उत्तरः भगत सिंह की इच्छा थी कि जब भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर पहुँचे तब उन्हें फाँसी दी जाय।
7. ओ सदानीरा -जगदीशचन्द्र माथुर
प्रश्न 10. गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली ? (2016 S+C)
उत्तर: दक्षिण बिहार के बागी विचारों का असर चम्पारण में देर से पहुंचा इसीलिए गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजी ने दिलचस्पी नहीं दिखायी। प्रश्न 25. गांधीजी के शिक्षा संबंधी आदर्श क्या थे?
(2012 S+C)
उत्तर: गाँधीजी की दृष्टि में अक्षर ज्ञान ही इस उद्देश्य प्राप्ति का एक साधन मात्र है। जो बच्चे जीविका के लिए नये साधन सीखने के इच्छुक हैं उनके लिए औद्योगिक शिक्षा की व्यवस्था करने का गाँधीजी ने निर्णय किया। गाँधीजी का विचार था कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद बच्चे अपने वंशगत व्यवसायों में लग जाएँ। तथा स्कूल में प्राप्त शिक्षा के साथ ही अपने जीवन को परिष्कृत करें। वे ब्रिटिश सरकार की शिक्षा पद्धति को अनुपयुक्त एवं खौफनाक समझते थे तथा उसे हेग मानते थे। उनके अनुसार छोटे बच्चों के नरित्र और बुद्धि का विकास करने की बजाय यह पद्धति उन्हें बौना बना देती है। उनका मुख्य उद्देश्य यह था कि बच्चे ऐसे पुरुष और महिलाओं के संपर्क में आएँ जो सुसंस्कृत और निष्कलुप चरित्र के हो।
प्रश्न 11. पुंडलीकजी कौन थे?
(2012A, 2014 A, 2017A)
उत्तर: पुंडलीकजी भितिहरवा आश्रम विद्यालय के शिक्षक थे। लेखक की मुलाकात डलीकजी से भितिहरवा आश्रम में हुई। जहाँ उन्होंने एक घटना का वर्णन किया। एकबार हाँ के अंग्रेज एमन साहब इनके आश्रम में आए। वहाँ का नियम यह था कि साहब जब आए