फाइनल परीक्षा का वायरल क्वेश्चन पेपर के लिए व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें
Q 1. सूबेदार और उसका बेटा लड़ाई लड़ने क्यों गए थे ?
Ans. सूबेदार को अंग्रेज सरकार से बहादुरी का किताब और जमीन जायदाद मिली थी उन्हें इसके बदले में अपनी वफादारी निभानी थी इसलिए हुए लड़ाई पर गए थे |
2. मानक और सिपाही एक-दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं ?
उत्तर ⇒ मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था और दूसरी ओर के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है। क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए चे एक- दूसरे को मारना चाहते हैं।
3. डायरी क्या है ?
उत्तर ⇒ डायरी दैनिक वृत्त की पुस्तक है, इसे दैनंदिनी भी कहा जाता है। इसमें जीवन के प्रतिदिन की घटनाओं व अनुभवों का वर्णन होता है। किसी व्यक्ति की डायरी से उसके मन के भाव, उसके जीवन के लक्ष्य, जीवन की स्थितियाँ परिलक्षित होती है। डायरी किसी के जीवन का दर्पण है।
4. महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस का नाम किस पाठ में आया है।
उत्तर- महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस का नाम सम्पूर्ण क्रांति पाठ में आया है।
5. नारी की पराधीनता कब से आरम्भ हुई ?
उत्तर- जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी नारी की पराधीनता आरम्भ हो गई।
6. अगर हममें वाशक्ति न होती तो क्या होता ?
उत्तर ⇒ हममें वाक्शक्ति न होती तो मनुष्य गूंगा होता, वह मूकबधिर होता। मनुष्य को सृष्टि की सबसे महत्वपूर्ण देन उसकी वाक्शक्ति है। इसी वाक्शक्ति के कारण वह समाज में वार्तालाप करता है। वह अपनी बातों को अभिव्यक्त करता है. और उसकी यही अभिव्यक्ति वाकशक्ति भाषा कहलाती है। व्यक्ति समाज में रहता है। इसलिए अन्य व्यक्ति के साथ उ पारस्परिक सम्बन्ध और कुछ जरूरतें होती हैं जिसके कारण वह वार्तालाप करता है। यह ईश्वर द्वारा दी हुई मनुष्य की अनमोल कृति है। इसी वाक्शक्ति के कारण वह मनुष्य है। यदि हममें इस वाकशक्ति का अभाव होता तो मनुष्य जानवरों की भाँति ही होता। वह अपनी क्रियाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता। जो हम सुख-दुख इंद्रियों के कारण अनुभव करते हैं वह अवाक रहने के कारण नहीं कह पाते।
7. रघुवीर सहाय ने हिन्दी के विकास में क्या योगदान किया, प्रकाश डालें ?
उत्तर ⇒ बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कवि पत्रकार के रूप में रघुवीर सहायजी हिन्दी जगत में स्थापित हैं। इन्होंने अनेक काव्य कृतियों, नाट्य कृतियों, निबंध एवं आलोचनात्मक ग्रंथों का सृजन कर हिन्दी साहित्य के विकास में अमूल्य योगदान किया। विश्व साहित्य के नाटकों कहानियों का हिन्दी में अनुवाद कर समृद्ध किया। इनके साहित्यिक एवं पत्रकार व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी अधिक प्रभावित हुई है।
8. कबीर ने भक्ति को कितना महत्त्व दिया ?
उत्तर ⇒ कबीर ने अपनी सबदी, साख और रमैनी द्वारा धर्म की सटीक व्याख्या प्रस्तुत की। लोक जगत में परिव्याप्त पाखंड, व्यभिचार, मूर्तिपूजा, जाति-पाँति और छुआछूत का प्रबल विरोध किया। उन्होंने योग, यज्ञ, व्रत, दान और भजन की सही व्याख्या कर उसके समक्ष उपस्थित किया।
कबीर ने भक्ति में पाखंडवादी विचारों की जमकर खिल्लियाँ उड़ायी और मानव-मानव के बीच समन्वयवादी संस्कृति की स्थापना की। लोगों के बीच भक्ति के सही स्वरूप की व्याख्या की। भक्ति की पवित्र धारा को बहाने, उसे अनवरत गतिमय रहने में कबीर ने अपने प्रखर विचारों से उसे बल दिया। उन्होंने विधर्मियों की आलोचना की। भक्ति विमुख लोगों द्वारा भक्ति की परिभाषा गढ़ने की तीव्र आलोचना की। भक्ति के सत्य स्वरूप का उन्होंने उद्घाटन किया और जन-जन के बीच एकता, भाईचारा प्रेम की अजस्र गंगा बहायी। वे निर्गुण विचारधारा के तेजस्वी कवि थे। उन्होंने ईश्वर के निर्गुण स्वरूप का चित्रण किया। उसकी सही व्याख्या की। सत्य स्वरूप का सबको दर्शन कराया
9. अंग्रेज नीलहे किसानों पर क्या अत्याचार करते थे ?
उत्तर ⇒ अंग्रेज नीलहे किसानों पर बहुत अत्याचार किया करते थे। किसानों से जबरदस्ती नील की खेती कराई जाती थी। हर बीस कट्ठा जमीन में तीन कट्ठा नील की खेती करना हर किसान के लिए लाजिमी था, जिसे तिनकठिया प्रणाली कही जाती थी। नील की खेती जिस भूमि में की जाती थी, उसकी उर्वरा शक्ति लगभग समाप्त हो जाती थी और भूमि बंजर हो जाती थी। केमिकल रंगों के ईजाद होने के बाद तिनकठिया से मुक्ति पाने के लिए किसानों को मोटी रकम गोरे ठेकेदारों को देना पड़ता था। जिस रास्ते पर साहब की सवारी जाती थी उसपर हिन्दुस्तानी अपने जानवर तक नहीं ले जा सकते थे। साहब के यहाँ कुछ भी हो तो सारा खर्चा रैयत को देना पड़ता था।
10. कविता में तुक का क्या महत्व है ? इनका छप्पयों के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ कविता में ‘तुक’ का अर्थ अन्तिम वर्णों की आवृत्ति है। कविता के चरणों के अंत में वर्णों की आवृत्ति को ‘तुक’ कहते हैं। साधारणतः पाँच मात्राओं की ‘तुक’ उत्तम मानी गयी है।
संस्कृत छंदों में ‘तुक’ का महत्व नहीं था, किन्तु हिन्दी में तुक ही छन्द का प्राण है।
‘छप्पय’- यह मात्रिक विषम और संयुक्त छंद है। इस छंद के छः चरण होते हैं इसलिए इसे ‘छप्पय’ कहते हैं।
प्रथम चार चरण रोला के और शेष दो चरण उल्लाला के, प्रथम-द्वितीय और तृतीय चतुथ के योग होते हैं। छप्पय में उल्लाला के सम-विषम (प्रथम-द्वितीय और तृतीय-चतुर्थ) चरणों का यह योग 15 + 13 = 28 मात्राओं वाला ही अधिक प्रचलित है। जैसे भगति विमख जे धर्म स अब अधरम करि गाए। योग, यज्ञ, व्रत, दान, भजन बिनु, तुच्छ, दिखाओ