1. गैंग्रीन क्या है ? VVI 2024
गैंग्रीन एक ऐसा चोट या घाव होता है जिसका सामान इलाज संभव नहीं हो पाता है, उसे गैंग्रीन कहते हैं। हम तो आमतौर पर इसे गलाब कहते हैं अर्थात घाव ठीक होने के बजाय गलने लगता है, बढ़ने लगता है। उस परिस्थिति में उस अंग को काट देना ही बेहतर माना जाता है।
2. कहानी से उन वाक्यों को चुने जिनमें रोज शब्द का प्रयोग हुआ है। VVI 2024
कहानी में मालती द्वारा बोले गए कुछ वाक्य जिसमे रोज शब्द का इस्तेमाल हुआ है।
✓ मालती टोककर बोली मेरे लिए तो यह नई बात नहीं है, रोज ही ऐसा होता है।
✓ क्यों पानी का क्या हुआ ? रोज ही होता है कभी वक्त पर आता नहीं।
✓ मैं तो रोज ऐसी बातें सुनती हूँ।
✓ धीरे बोली कि मेरे तो रोज इतने समय हो जाते हैं।
. मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे भी वश में कर रही है मैं भी वैसा ही निरस निर्जीव सा हो रहा हूं जैसे यह घर, जैसे मालती।
ये पंक्तियां अज्ञेय द्वारा रचित पाठ रोज कहानी से लिया गया है। लेखक मालती के घर दूर के रिश्तेदार के रूप में आए हैं अतिथि को यह लगता कि उस घर पर कोई काली छाया मंडरा रही है लेखक को यह भी अनुभव हो रहा है कि लेखक भी उस माहौल में जकड़ते चले जा रहे हैं वह भी उसकी जकड़ में आकर बड़ा नीरस और निर्जीव सा हो रहा है ठीक उसी प्रकार जैसे मालती है जैसे यह घर है।
. तीन बज गए, चार बज गए, ग्यारह बज गए कहानी में घंटे के इन खंड को के साथ-साथ मालती की उपस्थिति है घंटा बजने का मालती से क्या संबंध है ?
इससे यह स्पष्ट होता है कि मालती हर समय घंटा गिनती रहती थी क्योंकि समय काटे नहीं कटता, साथ ही उसके आगे की योजना पर भी काम करना होता है। घर में नौकर है नहीं, बर्तन मांजने, कपड़े धोने, भोजन बनाने का काम सब वही करती है। घंटा बजने पर उसकी दो मानसिकता रहती है, पहली यह कि चलो अब इतना समय बीत गया और दूसरा यह कि चलो अब यह कर लो और हर घंटा गिनना उसको अभास करता है कि अब इतना समय तो बीत गया।
3. प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है, जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है।” का प्रसंग स्पष्ट करें। VVI 2024
प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित अर्धनारीश्वर पाठ से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने नारी जाति की पराधीनता की बात बताई है लेखक का कहना है कि कृषि का विकास सभ्यता का पहला सोपान था किंतु उस पहली ही सीढ़ी पर सभ्यता ने मनुष्य से नारी कीमत वसूल कर ली। आज प्रत्येक पुरुष अपनी पत्नी को फूलों सा आनंदमय भर समझता है और प्रत्येक पत्नी अपनी पती को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती होगी। इस पराधीनता के कारण नारी अपने अस्तित्व की अधिकारिणी नहीं रही। उसके सुख और दुःख, प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा, यहां तक कि जीवन और मरण पुरुष की मर्जी पर टिकने लगे।
4. जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है। का प्रसंग स्पष्ट करें। VVI 2024
प्रस्तुत पंक्ति रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित अर्धनारीश्वर पाठ से ली गई है लेखक का कहने का तात्पर्य है कि जिस पुरुष में नारीत्व नहीं है यानी उनमें नारी का भी कुछ गुण होना चाहिए। नारी पुरुष को बहुत सहयोग करती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि नर के अंदर नारी का गुण नहीं आना चाहिए। अर्धनारीश्वर का मतलब कि दोनों अर्थात नर और नारी दोनों एक दूसरे के बिना अधूरा है अतः पुरुष में भी नारीत्व होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो वह अपूर्ण है।
5. जिसे भी पुरुष अपना कर्मक्षेत्र मानता है, वह नारी का भी कर्मक्षेत्र है कैसे ? VVI 2024
नारी केवल नर को रिझाने अथवा उससे प्रेरणा देने को नहीं बनी है जीवन यज्ञ में उसका भी अपना हिस्सा है और वह हिस्सा घर तक ही सीमित नहीं, बाहर भी है जिसे भी पुरुष अपना कर्मक्षेत्र मानता है वह नारी का भी कर्मक्षेत्र है। नर और नारी दोनों के जीवनोद्देश्य एक ही है यह अन्याय है कि पुरुष तो अपने उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनमाने विस्तार का क्षेत्र अधिकृत कर ले और नारियों के लिए घर का एक कोना छोड़ दे। यह बिल्कुल उचित नहीं है।
6. “अगर कोई डेमोक्रेसी का दुश्मन है तो वह लोग दुश्मन हैं। जो जनता के शांतिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं, उनकी गिरफ्तारी करते हैं, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियां चलाते हैं का पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें। VVI 2024
प्रस्तुत पंक्ति जयप्रकाश नारायण द्वारा रचित संपूर्ण क्रांति पाठ से लिया गया है। लेखक यह कहना चाहते हैं कि जब उनके शांतिमय प्रदर्शन, जुलूस के लिए हजारों लोग आ रहे थे, कहीं पैदल आ रहे थे, कुछ बस से आ रहे थे, कहीं रेलो से आ रहे थे, कहीं ट्रक से आ रहे थे आने वालों में किसान, मजदूर, छात्र, मध्यम वर्ग के लोग शामिल थे। जहां-तहां उनको बिना कारण के रोका गया, उन्हें पीटा गया, गिरफ्तारी भी किया विरोधियों के इन हरकतों के कारण ऐसी नीचता का व्यवहार दिखाने वालों के लिए यह पंक्ति लेखक के द्वारा कही गई। अंततः उन्होंने यह भी कहा कि हम, जनता, छात्र, युवा इस प्रकार की डेमोक्रेसी को बदलना चाहते हैं क्योंकि जो भी आंदोलन इस देश में होगा उसका नेता युवा रहेगा, छात्र रहेगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
7. ‘व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है सिद्धांतों से झगड़ा है कार्यों से झगड़ा है’ का पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें। VVI 2024
प्रस्तुत पंक्ति जयप्रकाश नारायण द्वारा रचित संपूर्ण क्रांति पाठ द्वारा लिया गया है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यही कहना चाहते हैं कि मेरा किसी व्यक्ति से झगड़ा नहीं है, चाहे वह कोई भी हो हमें तो नीतियों से झगड़ा हैं, सिद्धांतों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा, जो गलत कार्य होंगे, जो नीति गलत होगी, जो सिद्धांत प्रिंसिपल्स गलत होंगे, जो पॉलिसी गलत होगी चाहे वह कोई भी करें। मैं अपने अक्ल के मुताबिक उनका विरोध करूंगा। हम सही रास्तों को चुने हम देशहित और जनहित में कोई कार्य करेंगे।
8. यदि संधि की वार्ता कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था कि महाभारत ना मचता। लेखक के इस कथन से क्या आप सहमत हैं? अपना पक्ष रखें। VVI 2024
लेखक का कहना है कि पुरुष इतना कर्कश और कठोर हो उठा है कि युद्धों में अपना रक्त बहाते समय उसे यह ध्यान ही नहीं रहता है कि रक्त के पीछे जिनका सिंदूर बहने वाला है, उनका क्या हाल होगा ? और ना सिंदूरबालियों को ही इसकी फिक्र है कि और नहीं तो उन जगहों पर तो उनकी राय खुले जहां सिंदूर पर आफत आने की आशंका है। इस आधार पर लेखक के मन में यह त्यात्र होता है कि अगर कौरवों की सभा में यदि संधि की वार्ता कृष्ण और दुर्योधन के बीच ना होकर कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था कि महाभारत नहीं मचता।
9. आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे ? आंदोलन का नेतृत्व के किस शर्त पर स्वीकार करते हैं? VVI 2024
आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण जी का यही विचार था कि नई पीढ़ीयां ही देश की भविष्य है अर्थात देश का भविष्य नई पीढ़ी के हाथ में है। वे नई पीढ़ियों से बार-बार कहते थे कि जगह जगह पर आपको हम सलाह देंगे साथ ही साथ वे कहते थे कि नई पीढ़ी के अंदर शक्ति है, जवानी है, आप नेता बनने योग्य हैं। हमारे साथ अनवरत हो रहे अन्यायों भ्रष्टाचारो आदि को रोकना होगा और इसके लिए हमें आगे आना होगा आगे जब देश में आपातकाल लागू हुआ और जनतांत्रिक अधिकारों का क्रूरतापूर्वक दमन किया जाने लगा तब समूचे देश में छात्रों और युवाओं का आक्रोश फूट पड़ा। छात्रों और युवाओं के अनुरोध पर बुढ़ापा और बीमारी के बावजूद जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन का नेतृत्व स्वीकार किया। लेकिन उनका यह शर्त था कि मेरे पास जितना समय होगा उतना मैं ही हम आप सब की बातों को सुनेंगे समझेंगे पर फैसला मेरा होगा। ये फैसला आपको और संघर्ष समितियों को मानना होगा।
10. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन सी बातें आपको प्रभावित करती है ? VVI 2024
जयप्रकाश नारायण का छात्र जीवन बहुत ही संघर्षशील रहा। वे साइंस के छात्र थे वह कुछ दिन फुलदेव बाबू के साथ लैबोरेट्री में रहे बिहार विद्यापीठ से ले आई.एस.सी की परीक्षा पास किए। वे स्वामी सत्यदेव के भाषण सुने थे कि अमेरिका में मजदूरी करके लड़के पढ़ सकते हैं तो वे अमेरिका गये। वहां वे बागानों में काम किए, कारखानों में काम किए, जहां जानवर मारे जाते हैं उन कारखानों में भी उन्होंने काम किया। जब छुट्टी मिलती थी तो काम करके इतना तो जरूर कमा लेते थे कि कुछ खाने के लिए इंतजाम हो जाता था, कुछ कपड़े भी खरीद लेते थे और कुछ पैसे फिस के लिए काम आते थे। और बाकी हर दिन एक घंटा रेस्त्राँ में, होटल में, बर्तन धोने का या वेटर का काम करते थे ताकि शाम का भोजन मिल जाए। घर में एक चार पाई थी जिस पर जयप्रकाश जी और एक अमेरिकन लड़का रहता था वे दोनों एक साथ एक ही रजाई में सोते थे। इतवार के दिन था कुछ ऑड टाइम में होटल के काम को छोड़कर के जूटे साफ करने का काम भी करते। इस प्रकार इतनी संघर्ष और गरीबी से वे वहां बी.ए. पास किए। यह बात तो सही है की मेहनत रंग लाती है स्कॉलरशिप मिलने के बाद वे डिपार्टमेंट का असिस्टेंट बन गए और फिर ट्यूटोरियल क्लास लेने लगे।