1.मंडल परिष्करण क्या हैं?
उतर:-यह अशुद्ध धातुओं के शोधन की विधि है। इस विधि का सिद्धांत यह है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर वृत्ताकार गतिशील पर लगा रहता है। गलित मंडल तापक के साथ अग्र दिशा में गतिशील रहता है। शुद्ध धातु तापक से पीछे रहकर क्रिस्टलित हो जाती हैं जबकि अशुद्धियों संलग्न गलीत मंडल में चली जाती हैं।इस प्रक्रिया को समान दिशा में कई बार दोहराया जाता है। अंत में अशुद्धियां छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती है। यह विधि मुख्य रूप से अति उच्च शुद्धता वाले अर्द्धचालको तथा अन्य अति शुद्ध धातुओं ;जैसे:- जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरान, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त करने के लिए बहुत उपयोगी है।
2.फैन क्लब विधि में अवनमक की भूमिका क्या है?
उत्तर:- फेन प्लवन विधि में अवनमको का उपयोग दो सल्फाइड अयस्को को पृथक करने में किया जाता है। अवनमक एक प्रकार के सल्फाइड अयस्क को फेन में आने से रोकता है। जबकि दूसरे प्रकार के सल्फाइड अयस्क को फेन में आने देता है। उदाहरण स्वरूप:-NaCN एक अवनमक है। यह चयनित रूप से ZnS को फेन में आने से रोकता है परंतु pbS फेन में आने देता है।
3. कारण बताइए की सूक्ष्म विभाजित पदार्थ अधिक प्रभावी अधिशोषक क्यों होता है?
उतर:-सूक्ष्म विभाजित पदार्थ अधिक प्रभावशाली अधिशोषक है क्योंकि – (a) पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने से अवशोषण का परिमाण बढ़ता है।(b) सक्रिय केंद्रों की संख्या अधिक होने से अधिशोषण का परिमाण बढ़ जाता है।
4.अपचायक शर्करा क्या होती है?
उत्तर:- वे शर्करा जो अपचायक के सामान्य कार्य करती है अपचायक शर्करा कहलाती है। ये एक एल्डिहाइड अथवा एक कीटॉनिक समूह रखती है। सभी मोनोसैकेराईड तथा डाईसैकेराइड(सुक्रोस को छोड़कर) अपचायक शर्करा होती है। उदाहरण: – ग्लूकोस, फ्रक्तोस, लैपटॉस आदि। ये टॉललेन अभिकर्मक तथा फेहलिंग विलियन को अपचायित कर देती है।
5. हमें कृत्रिम मधुरकोकी आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:-प्राकृतिक मधुरक शरीर को कैलोरी प्रदान करते हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए अधिक कैलोरी ग्रहण करना नुकसानदायक है।अत: कृत्रिम मधुरको का उपयोग:-(a) ग्रहण की गई कैलोरी को नियंत्रित करने के लिए। (b) मधुमेह के मरीजों के लिए शर्करा को प्रतिस्थापि के रूप में किया जाता है।
6. ठोस कठोर क्यों होते हैं?
उत्तर:-ठोस कठोर होते हैं क्योंकि इनके अवयवी कण अत्यंत निवीड संतुलित होते हैं। इनमें कोई स्थानांतरित गति नहीं होती है तथा ये केवल अपनी मध्य स्थित के चारों और कंपन कर सकते है।
7. ठोसो का आयतन निश्चित क्यों होता है?
उत्तर:-ठोसों में अवयवी कण अपनी मध्य स्थितियों में प्रबल आकर्षण बलों द्वारा बंधे रहते हैं। अणु के मध्य दूरी अर्थात आंतराण्विक दूरी दाब बढ़ाने या कम करने पर अप्रभावित रहती है अत: ठोसो का आयतन निश्चित होता है।
8. हेनरी का नियम क्या है?
उत्तर:-स्थिर ताप पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान गैस के दाब के समानुपाती होता है। यदि विलायक के इकाई आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान m तथा दाब p हो तो
m=k p
जहां k एक स्थिरांक हैं।
9.प्रतिशतता क्या है?
उत्तर:-किसी बिलयन के 100 भाग में उपस्थित विलेय पदार्थ की मात्रा प्रतिशतता कहलाती है।
10. समपरासिय विलयन क्या है?
उत्तर:-ऐसे विलयन जिनके परासरण दाब समान होते हैं समपरासिय विलयन कहलाता है।