Hu1. सीता अपने ही घर में घुटन क्यों महसूस करती है?
उत्तर:- सीता अपने ही घर में घुटन इसलिए महसूस करती है, क्योंकि परिवार का माहौल ठीक नहीं है। घर में सभी है, बेटे-बहूएँ, पोते-पोतियों, लेकिन किसी में तालमेल नहीं है। परिवार की ऐसी स्थिति देखकर सीता का मन भर जाता है। वह अपनी आँखें पोंछकर आकाश की ओर देखने लगती है। उसे लगता था कि जैसे पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है। वैसा ही उसके हृदय में भी घुटन भरी हुई है। सीता को खाने को तो दो वक्त की रोटी मिल जाती है, लेकिन के प्रति बेटे का जो उत्तरदायित्व होता है वह नहीं मिल पाता है। घर में कोई भी माँ का हाल चाल नहीं पूछते हैं। घर के सभी सदस्य माँ को बोझ जैसा समझते हैं। यही कारण है कि सीता अपने ही घर में घुटन महसूस करती है।
2. भावार्थ स्पष्ट करें।
नदियों को नाला हो जाने से हवा को धुआँ हो जाने से खाने को जहर हो जाने से
उत्तर:- कवि कुँवर नारायण ने ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता के माध्यम से संदेश दिया है कि मनुष्य स्वार्थ के कारण और सभ्य होता जा रहा है। घर, शहर और देश को बचाने के पहले ‘प्रदूषण’ के कारण ऐसा ना हो जाए कि नदिया नाला हो जाए, हवा धुआँ हो जाए, और भोजन विष हो जाए। इसे रोकने से ही मानव सभ्यता और संस्कृति बचेगी। इसलिए हमें जंगलों को बचाना होगा और देश के हर एक नागरिक को एक एक पौधा लगाना होगा।
3. अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है?
उत्तर:- कवि आपने को जलपात्र इसलिए कहता है क्योंकि जलपात्र में जल होता है और जल ही जीवन का आधार है। जबकि मदिरा में नशा होता है। अगर
मनुष्य न होगा तो ईश्वर भी न होगा, क्योंकि मनुष्य को ईश्वर की जरूरत होती है। इसलिए कवि अपने को जलपात्र और मदिरा कहता है।
4. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता है?
उत्तर:- कवि बुद्धिजीवी है। वह जानता है कि बूढ़ा चौकीदार विश्वासी होता है। उसका अनुभव हमेशा हितकर होता है। चौकीदार के रूप में वह वृक्ष भी बूढा है, लेकिन उसके बलबूते में कोई कमी नहीं आई है।
5. कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है?
उत्तर:- कवि अगले जन्म में कौवा, हंस, उल्लू, सारस इत्यादि बनने की संभावना व्यक्त करता है। कवि एक स्वच्छ जीवन जीना चाहता है। इसलिए पक्षी के जीवन को श्रेष्ठ मानता है।
6. ‘वाणी’ कब विष के समान हो जाती है?
उत्तर:- गुरु नानक का कहना है कि मनुष्य इस जीवन में अपना अस्तित्व प्राप्त करता है। मनुष्य को सदैव राम-नाम का जप करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य का अस्तित्व राम की कृपा से ही हुई है। यदि वह राम नाम का जप नहीं करता है, तो निश्चित ही ‘वाणी’ विष के समान हो जाती है।
7. लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है और क्यों? उत्तर:- जो व्यक्ति भारत के साहित्यिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं राजनैतिक गौरवपूर्ण इतिहास से अनजान है। उसे ही नया सिकंदर कहा गया है।
8. परंपरा का ज्ञान किन के लिए आवश्यक है और क्यों?
उत्तर:- जो लोग इस युग में परिवर्तन चाहते हैं और
6. ‘वाणी’ कब विष के समान हो जाती है?
उत्तर:- गुरु नानक का कहना है कि मनुष्य इस जीवन में अपना अस्तित्व प्राप्त करता है। मनुष्य को सदैव राम-नाम का जप करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य का अस्तित्व राम की कृपा से ही हुई है। यदि वह राम नाम का जप नहीं करता है, तो निश्चित ही ‘वाणी’ विष के समान हो जाती है।
7. लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है और क्यों? उत्तर:- जो व्यक्ति भारत के साहित्यिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं राजनैतिक गौरवपूर्ण इतिहास से अनजान है। उसे ही नया सिकंदर कहा गया है।
8. परंपरा का ज्ञान किन के लिए आवश्यक है और क्यों?
उत्तर:- जो लोग इस युग में परिवर्तन चाहते हैं और
रुढ़िया तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करना चाहते हैं। अक्सर उनके लिए ही परंपरा का ज्ञान आवश्यक है।
9. पंडित बिरजू महाराज सबसे बड़ा जज किसको मानते हैं और क्यों?
उत्तर:- पंडित बिरजू महाराज सबसे बड़ा जज अपनी अम्मी को मानते हैं। और इसलिए मानते हैं क्योंकि उसकी अम्मी कुल परंपराओं से संपन्न होती है। पिताजी की मृत्यु होने के बाद अम्मी ही अपने बेटे की देखभाल करती है और पिताजी की तस्वीर दिखा कर हौसला बढ़ाती है।
10. पंडित बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? संक्षिप्त में परिचय दें।
उत्तर :- पंडित बिरजू महाराज के गुरु उनके पिता ही थे। पंडित बिरजू महाराज ने अपने पिता का ही शिष्य होने का बाद स्वीकार किया। बिरजू महाराज के पिता
एक प्रख्यात नर्तक थे। पंडित बिरजू महाराज के पिता तबला बजाते थे और उसके बाद अपने बेटे को सिखाते थे। पंडित बिरजू महाराज तबला बजाने की कला 22 वर्षों तक रामपुर के नवाब के यहां अपनी कला का प्रदर्शन किया। 54 वर्ष की अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई।
11. डुमराँव की महत्ता किस कारण से हैं?
उत्तर:- डुमराँव की महत्ता के दो कारण है। पहली कारण यह है कि इसके आस-पास की नदियों में नरकट नामक एक प्रकार की घास पाई जाती है। जिसका प्रयोग शहनाई बजाने में किया जाता है। दूसरा कारण है कि शहनाई के शहंशाह बिस्मिल्लाह खाँ का यह पैतृक निवास है।