प्रश्न 1. कार्बन के दो अपरूपों में हीरा कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है, क्यों?
उत्तर – हीरे में कार्बन का प्रत्येक परामणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होता है जिससे एक दृढ़ त्रि-आयामी संरचना बनती है। ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबंध कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर होता है जिससे षट्कोणीय व्यूह मिलता है। इनमें से एक आबंध द्वि-आबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की संरचनायें षट्कोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं। इन दो विभिन्न संरचनाओं के कारण हीरा काफी कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है। हीरा विद्युत का कुचालक और ग्रेफाइट
विद्युत के सुचालक होते हैं। फुलेरीन कार्बन अपरूप का एक अन्य वर्ग है।
प्रश्न 2. समजातीय श्रेणी किसे कहते हैं ?
उत्तर- कार्बन के यौगिकों का एक ऐसा समूह होता है जिसकी संरचनाएँ तथा रासायनिक गुण समरूप होता है तथा दो क्रमागत सदस्यों के बीच CH का अन्तर होता है, समजातीय श्रेणी कहते हैं। उदाहरण- एल्केन्स का समजातीय श्रेणी CH4, C2HgC3Hg आदि है जिसके क्रमागत सदस्यों के बीच सदा – CH 2 का अन्तर है।
प्रश्न 3. साबुन किसे कहते हैं? साबुन के विरचन में होने वाली
अभिक्रियाओं को लिखें। उत्तर-ओलीक (C17H33COOH), स्टिऐरिक (C1735 COOM) एवं पामिटीक (C15H3 COOH) अम्लों जैसे उच्च वसा अम्लों के सोडियम
अथवा पोटैशियम लवणों को साबुन कहते हैं।
साबुन के विरचन में होने वाली अभिक्रियाएँ-जब किसी तेल अथवा वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ विरेचित करते हैं तो तेल अथवा वसा संगत एसिड के सोडियम लवण एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित हो जाते हैं। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। CH2—O—COC17H35
CH2OH
CH-O-COC17H35 + 3NaOH CHOH + 3C17H35-3COONa (साबुन)
CH2O—COC17H35 CH2OH .
(ग्लिसराइड)
प्रश्न 4. (a) दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय
चश्मा उतारना पसंद करता है। क्यों?
उत्तर- दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को आसानी से देख पाता है। अतः वह चश्मा उतारकर ही दूर की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है। यही कारण है कि दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश की ओर देखने पर अपना चश्मा उतार देता है।
(b) टिंडल प्रभाव क्या है?
उत्तर- जब किसी घने जंगल के वितान से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो टिंडल प्रभाव को देखा जाता है। जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूँदें प्रकाश का प्रकीर्णन कर देती हैं।
प्रश्न 5. (a) विद्युत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है?
उत्तर- विद्युत विभव-इकाई धन आवेश को अनंत से विद्युतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में सम्पादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते
हैं। इसका SI मात्रक वोल्ट है। विभवांतर – दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका भी S. I. मात्रक वोल्ट है।
(b) प्रतिरोध क्या है? इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर – जब परिपथ में विद्युत धारा बहती है तो चालक के अन्दर उपस्थित इलेक्ट्रोनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरूप ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रूकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण-धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रोनों के प्रवाह का विरोध है। यह विद्युत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका SI मात्रक ओम है।
प्रश्न 5. प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में क्या अन्तर है? उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अन्तर इस प्रकार है-
प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) दिष्ट धारा (डी.सी.)
1. धारा का मान तथा दिशा
1. केवल दिष्ट धारा का
समय के साथ बदल जाते हैं। परिमाण बदलता है।
2. इसे आसानी से उत्पन्न 2. इसे उत्पन्न करने में कठिनाई होती है।
किया जा सकता है।
3. इसे सुगमतापूर्वक डी.सी. में 3. इसे ए.सी. में बदलने में रूपान्तरित किया जा सकता है। काफी कठिनाई होती है।
4. यह डी.सी. की अपेक्षा
अधिक घातक होता है।
5. यह चालक के ऊपरी सतह
पर प्रवाहित होता है।
4. यह ए.सी. की अपेक्षा कम
घातक होता है।
5. यह चालक के भीतरी भाग से प्रवाहित होता है।
प्रश्न 6. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर- पारिस्थितिक तंत्र में पौधे उत्पादक का कार्य करते हैं। इसके द्वारा निम्नलिखित कार्य होते हैं- (i) किसी भी पारितंत्र में रहने वाले जीव की प्रकृति का निर्धारण हरे पौधों या उत्पादक के द्वारा होता है।
(ii) वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के बीच का संतुलन हरे पौधों द्वारा ही होता है।
(iii) केवल हरे पौधे ही पारितंत्र के मूल ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा का प्रग्रहण कर सकते हैं।
प्रश्न 7. जैविक आवर्धन क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न होता है? क्यों ।
उत्तर – हमारी आहार श्रृंखला में कुछ रासायनिक पदार्थ जो कि अजैव निम्नीकृत होते हैं, मिट्टी के माध्यम से पौधों में प्रवेश कर जाते हैं और हर उस जीव में प्रवेश कर जाते हैं जो पौधों पर आश्रित है। क्योंकि ये पदार्थ अजैव निम्नीकृत हैं, यह प्रत्येक पोषी स्तर पर उत्तरोत्तर
संग्रहित होते जाते हैं और यही जैविक आवर्धन कहलाता है। जैविक आवर्धन का प्रभाव आहार श्रृंखला के ऊपरी भाग में भयावह होता है क्योंकि सबसे अधिक संग्रहित रासायनिक पदार्थ वहीं पहुँचता है क्योंकि मनुष्य आहार श्रृंखला में शीर्षस्थ है। अतः हमारे शरीर में यह रसायन सर्वाधिक मात्रा
संचित होता है।
प्रश्न 8. अनुरक्षण क्या है?. अनुरक्षण के लिए कौन-कौन सी0क्रियाएँ आवश्यक है?
उत्तर- सजीवों में जीवन के समस्त कार्यों को सुव्यस्थित ढंग से करने के लिए जीवन की कई निश्चित व्यवस्था निम्न प्रक्रियाओं का होना आवश्यक है। अनुरक्षण के लिए निम्न प्रक्रियाओं का होना आवश्यक है-पोषण, श्वसन, उत्सर्जन एवं परिवहन। ये सारी प्रक्रियाएँ जीवों की मूलभूत आवश्यकता है। ऊर्जा की प्राप्ति के लिए पोषण जरूरी है। पाचित भोज्य पदार्थ के दहन के लिए श्वसन जरूरी है एवं हानिकारक अपशिष्टों के निष्कासन के लिए उत्सर्जन जरूरी है।
प्रश्न 9. गोलीय दर्पण द्वारा सूर्य के प्रकाश में किसी कागज के कतरन को कैसे जलाया जा सकता है?
उत्तर- गोलीय अवतल दर्पण के परावर्तक सतह को सूर्य से आने वाली किरणों के सामने रखा जाता है। सूर्य से चलने वाली समांतर किरणें दर्पण से परावर्तित होकर फोकस पर अभिसरित होती हैं। अगर अवतल दर्पण के फोकस पर कागज के कतरन रख दिये जायें, तो यह जल उठता है। क्योंकि समांतर किरणें एक बिंदु पर अभिसरित होती हैं और काफी ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। कागज का कतरन दर्पण के फोकस पर रखने पर जलने लगती है।
प्रश्न 10. दृष्टिदोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता है ? • सामान्य नेत्र द्वारा 25 सेमी पर की वस्तु को स्पष्ट देखा जाता
उत्तर- है। जब इस स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी पर वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है तो कहा जाता है कि नेत्र में दृष्टिदोष है। यह मुख्यतः चार प्रकार का होता है- (i) लघु दृष्टि या निकट दोष (ii) दीर्घ या दूर दृष्टि दोष (iii) जरा दृष्टि दोष (iv) अबिंदुकता
प्रश्न 11. विद्युत संचरण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर- • कॉपर और ऐलुमिनियम के तार में प्रतिरोधकता मिश्रधातुओं से बने तारों की अपेक्षा काफी कम होती है। साथ ही इनके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल क्रोमियम और टंगस्टन के तार की तुलना में काफी अधिक है। अतः कॉपर और ऐलुमिनियम के तार के प्रतिरोध काफी कम होता है। इसमें मुक्त रूप से गमन करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है।
अतः विद्युत संचरण के लिए प्राय: कॉपर और ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है।